बिहार के सीएम नीतीश कुमार को घेरने से पहले कांग्रेस आलाकमान अपने घर को दुरुस्त करने में जुट गई है. इसी मद्देनजर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी बिहार में कांग्रेस विधायकों को टूट से बचाए रखने के लिए बुधवार को मुलाकात करेंगे. राहुल के साथ बुधवार को होने वाली विधायकों की बैठक में बिहार कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौधरी को नहीं बुलाया गया है.
सूत्रों के मुताबिक इस क्राइसिस के लिए अशोक चौधरी को जिम्मेदार माना जा रहा है. इसी मद्देनजर कांग्रेस ने बिहार में अपने नए प्रदेश अध्यक्ष की तलाश में जुट गई हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि जल्द ही अशोक चौधरी के हाथों से पार्टी की कमान को लेकर दूसरे नेता को सौंपा जा सकता है.
दरअसल 2015 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के 27 विधायक जीते थे और बीस साल के बाद सत्ता में लौटी थी. वह सूबे की सत्ता पर भले ही काबिज न रही हो, लेकिन सत्ता में साझीदार जरूर रही है. महागठबंधन से नीतीश कुमार ने नाता तोड़कर बीजेपी के संग हाथ मिला लिया था और एनडीए की ओर से सत्ता पर काबिज हो गए थे. नीतीश के अलग हो जाने से कांग्रेस विधायक सत्ता से दूर हो गए हैं.
कांग्रेस के 27 विधायकों में से कई MLA ऐसे हैं जिन्हें नीतीश के चलते 2015 में कांग्रेस से टिकट मिला था. अब यही विधायक जेडीयू में जाने की जुगत लगा रहे थे. इसी मद्देनजर कांग्रेस आलाकमान सचेत होकर बिहार के अपने विधायकों से मिलने का फैसला किया और उनकी टूट की वजह भी जानने की कोशिश कर रही है.
राहुल गांधी बिहार के एक-एक विधायकों से अलग-अलग मुलाकात कर उनसे बातचीत करेंगे. राहुल इस बैठक से पार्टी के लिए विभीषण का काम कर रहे शख्स का पता करेंगे. इसीलिए राहुल इन विधायकों के जरिए जानना चाहते हैं, किस नेता के कहने पर और किस तरह का उन्हें प्रलोभन देकर कांग्रेस से अलग होकर जेडीयू के साथ ले जाने की कोशिशें की जा रही हैं. ताकि इन्हीं सब तथ्यों के आधार पर वह कार्रवाई के लिए कदम उठा सकें.
बिहार कांग्रेस विधायकों के मामले में पिछले दिनों कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बिहार प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौधरी और कांग्रेस विधायक दल के नेता सदानंद सिंह को बुलाकर चर्चा की. सूत्रों की मानें तो दोनों नेताओं को कड़ी फटकार लगाई गई है और कांग्रेस के कुनबे को साथ रखने की हिदायत दी थी.
दरअसल बिहार के सवर्ण कांग्रेस विधायक लंबे समय से अशोक चौधरी को हटाए जाने की मांग कर रहे हैं और उनकी जगह पार्टी की कमान किसी सवर्ण चेहरे को दिए जाने की बात कह रहे थे. सूत्रों के मुताबिक अशोक चौधरी के हाथों से पार्टी की कमान लेने के लिए केंद्रीय और राज्य के कांग्रेस नेताओं ने मन बना लिया है. इसके लिए बकायदा नए चेहरे की तलाश में भी कांग्रेस जुट गई है. माना जा रहा है कि किसी सवर्ण चेहरे को कांग्रेस बिहार में पार्टी की कमान सौंप सकती है.