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आर्थिक उदारीकरण के विरोधी, 5000 बार दी गिरफ्तारी... जानिए कौन हैं JDU के राज्यसभा कैंडिडेट अनिल हेगड़े

अनिल हेगड़े आर्थिक उदारीकरण के प्रबल विरोधी रहे हैं. अनिल हेगड़े ने 14 साल तक विदेशी कंपनियों के विरोध में आंदोलन किया और करीब पांच हजार बार गिरफ्तारी दी. जेडीयू ने किंग महेंद्र के निधन से रिक्त हुई राज्यसभा की सीट के लिए उपचुनाव में हेगड़े को उम्मीदवार बनाया है.

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जेडीयू के राज्यसभा कैंडिडेट अनिल हेगड़े
जेडीयू के राज्यसभा कैंडिडेट अनिल हेगड़े
स्टोरी हाइलाइट्स
  • जेडीयू ने राज्यसभा उपचुनाव में बनाया कैंडिडेट
  • कर्नाटक के उडुपी में हुआ था हेगड़े का जन्म

जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने किंग महेंद्र के निधन से रिक्त हुई राज्यसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में अनिल हेगड़े को उम्मीदवार बनाया है. अनिल हेगड़े को राज्यसभा सदस्य पद के लिए जेडीयू ने जब से उम्मीदवार घोषित किया है, लोगों की ये जानने में दिलचस्पी बढ़ गई है कि अनिल हेगड़े कौन हैं. अनिल हेगड़े मूल रूप से कर्नाटक के उडुपी जिले के रहने वाले हैं. हेगड़े की गिनती आर्थिक उदारीकरण के प्रबल विरोधी नेताओं में होती है.

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जेडीयू ने जिन अनिल हेगड़े को राज्यसभा के लिए अपना उम्मीदवार घोषित किया है, उनकी कहानी भी दिलचस्प है. हेगड़े ने अबतक एक या दो नहीं, करीब पांच हजार बार गिरफ्तारी दी है. वे 14 साल तक विदेशी कंपनियों के खिलाफ नई दिल्ली के पार्लियामेंट थाने पर प्रदर्शन कर गिरफ्तारी देते रहे. किसी राजनीतिक आंदोलन में राजनीतिक गिरफ्तारियों की जब भी बात होती है, लोग अनिल हेगड़े का नाम जरूर लेते हैं.

अनिल हेगड़े पिछले 38 साल से सियासत में सक्रिय रहे. पहले जनता पार्टी, फिर जनता दल और समता पार्टी के बाद जेडीयू. अनिल हेगड़े ने रामकृष्ण हेगड़े के साथ जनता पार्टी में काम किया. बाद में वे जॉर्ज फर्नांडिस और चंद्रशेखर के भी करीबी रहे. अनिल हेगड़े की गिनती समाजवादी विचारधारा के प्रति पूरी तरह समर्पित नेताओं में होती है. डंकन प्रस्ताव हो या फिर कांडला पोर्ट पर हड़ताल, अनिल हेगड़े इन सभी में शामिल रहे.

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आर्थिक उदारीकरण के प्रबल विरोधी अनिल हेगड़े 1994 से 2008 तक जॉर्ज फर्नांडिस के खास रहे. पार्टी के प्रस्ताव बनाने में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका रहा करती थी. कर्नाटक के उडुपी जिले के एक साधारण परिवार में जन्में अनिल हेगड़े के पिता किसान थे. अनिल हेगड़े पिछले 12 साल से पटना में जेडीयू कार्यालय में ही रहते हैं. सादगी के लिए कार्यकर्ताओं के बीच खास पहचान रखने वाले हेगड़े की गिनती ऐसे नेताओं में होती है जिन्हें कभी किसी पद का लोभ नहीं रहा.

जेडीयू नेताओं और कार्यकर्ताओं की मानें तो अनिल हेगड़े ने पार्टी के सत्ता में होने के बाद भी कभी किसी पद की मांग नहीं की. वे पार्टी के निर्वाचन अधिकारी के साथ ही कई अन्य महत्वपूर्ण पदों पर भी रह चुके हैं. अनिल हेगड़े को लेकर कहा जाता है कि वे सोशलिस्ट विचारधारा के फकीर नेता हैं. आज के दौर में पार्टियां धनबल से मजबूत नेताओं को राज्यसभा भेजती हैं लेकिन जेडीयू की ओर से अनिल हेगड़े को राज्यसभा भेजने का फैसला किया.

जेडीयू ने किंग महेंद्र के निधन से रिक्त हुई सीट पर हो रहे उपचुनाव में अनिल हेगड़े को उम्मीदवार बनाया है. उनका कार्यकाल दो साल का होगा. जेडीयू के इस फैसले को बिहार चुनाव में तीसरे नंबर पर रही पार्टी को मजबूत करने की कवायद के तौर पर देखा जा रहा है. माना जा रहा है कि अनिल हेगड़े को राज्यसभा भेजकर कार्यकर्ताओं को ये संदेश देने की कोशिश कर रही है कि कर्मठ कार्यकर्ताओं की यहां उपेक्षा नहीं की जाती.

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