लोक जनशक्ति पार्टी(लोजपा) के अध्यक्ष रामविलास पासवान शुक्रवार को बिहार से राज्यसभा के लिए निर्विरोध सांसद चुना गया है. रामविलास पासवान फिलहाल नरेंद्र मोदी सरकार में केंद्रीय उपभोक्ता और सार्वजनिक वितरण मामलों के मंत्री हैं.
राज्यसभा प्रत्याशी के तौर पर किसी ने दावेदारी नहीं पेश की जिसके बाद उन्हें निर्विरोध निर्वाचित सांसद घोषित कर दिया गया. दोपहर तीन बजे नामांकन पत्रों की वापसी की समय सीमा रखी गई थी.
बिहार विधानसभा सचिव बटेश्वरनाथ पांडे ने कहा कि कोई औपचारिक चुनाव नहीं हुआ. राम विलास पासवान ने 20 जून को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन पत्र दाखिल किया था और वह अपनी जीत के प्रति आश्वस्त थे.
पासवान ने 2019 में बिहार के हाजीपुर की पारंपरिक सीट से लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा था. उन्होंने 10 संसदीय चुनाव लड़े हैं और हाजीपुर से 8 बार जीते हैं.
2014 में राम विलास पासवान 8वीं बार लोकसभा के सांसद चुने गए थे. तत्कालीन सरकार में रामविलास के पास उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय था. हालांकि 2019 के आम चुनाव में उन्होंने चुनाव न लड़ने का फैसला किया.
1977 में बिहार के हाजीपुर संसदीय सीट से चुनाव जीते थे. उसके बाद 2019 यह पहला अवसर था, जब उन्होंने लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा. लेकिन अपनी परंपरागत सीट हाजीपुर से अपने भाई पशुपति कुमार पारस को चुनाव लड़वाया और पशुपति ने जीत भी दर्ज की थी.
ओडिशा में भी चुने गए निर्विरोध सांसद
बीजू जनता दल (बीजद) के दो और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के एक प्रत्याशी शुक्रवार को ओडिशा की तीन राज्यसभा सीटों पर हुए चुनाव में निर्विरोध चुन लिए गए. बीजद के नेता अमर पटनायक व सस्मित पात्रा और बीजेपी के उम्मीदवार अश्विनी वैष्णव राज्यसभा के लिए हुए उपचुनावों में निर्विरोध चुने गए. सत्तारूढ़ बीजद ने पूर्व आईएएस अधिकारी रहे वैष्णव का समर्थन किया.
चूंकि कोई अन्य दावेदार नहीं थे, इसलिए नामांकन पत्रों की जांच के बाद रिटर्निग अधिकारी ने तीनों के निर्वाचित होने की घोषणा की. राज्यसभा की तीन रिक्त सीटों के लिए उपचुनाव पांच जुलाई को होने थे लेकिन उसकी नौबत नहीं आई. बीजद के अच्युतानंद सामंत, प्रताप केशरी देब और सौम्य रंजन पटनायक द्वारा हाल ही में संपन्न लोकसभा और ओडिशा विधानसभा के चुनाव में जीतने के बाद इनकी राज्यसभा सीटें खाली हो गई थीं.