बिहार की सत्ता में हुए बदलाव के बाद से राज्य में सियासी शह-मात का खेल जारी है. ताजा बवाल आरजेडी कोटे से शिक्षा मंत्री बने प्रोफेसर चंद्रशेखर के रामचरितमानस पर दिए बयान से पैदा हुआ है. बीजेपी ने इसे लेकर आक्रामक रुख अपना रखा है. जेडीयू इससे किनारा किए हुए है तो आरजेडी इस मुद्दे पर अपने मंत्री के साथ ही खड़ी नजर आ रही है. सवाल है कि क्या ये महज जुबान फिसलने का मामला है या किसी बड़े सियासी मकसद के लिए सोच-समझकर दिया गया बयान.
चंद्रशेखर ने क्या कहा था?
बिहार के शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर ने नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी के 15वें दीक्षांत समारोह में छात्रों को संबोधित करते हुए कहा था, 'मनुस्मृति में समाज की 85 फीसदी आबादी वाले बड़े तबके के खिलाफ गालियां दी गईं. रामचरितमानस के उत्तर कांड में लिखा है कि नीच जाति के लोग शिक्षा ग्रहण करने के बाद सांप की तरह जहरीले हो जाते हैं. यह नफरत को बोने वाले ग्रंथ हैं. एक युग में मनुस्मृति, दूसरे युग में रामचरितमानस, तीसरे युग में गुरु गोलवलकर का बंच ऑफ थॉट. ये सभी देश व समाज को नफरत में बांटते हैं. नफरत देश को कभी महान नहीं बनाएगी. देश को महान केवल मोहब्बत बनाएगी.'
RJD को हिंदू विरोधी बता रही बीजेपी
चंद्रशेखर के बयान से बीजेपी आगबबूला है. पार्टी ने इसपर आक्रामक रुख अपना रखा है. वो इसे हिंदू धार्मिक ग्रंथ और हिंदू धर्म का अपमान बता रही है. पूर्व उपमुख्यमंत्री और बीजेपी के राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी चंद्रशेखर को हिंदू विरोधी बताकर उनकी बर्खास्तगी की मांग कर रहे हैं. सुशील मोदी ने इस बहाने सीएम नीतीश कुमार पर भी निशाना साधा.
बीजेपी विधायक नीरज कुमार ने कहा कि शिक्षा मंत्री के बयान से हिंदू धर्म के लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंची है. वो धर्म विशेष को खुश करने के लिए अनाप-शनाप बयान दे रहे हैं. बीजेपी के बाकी नेता भी इसे लेकर आरजेडी पर हमलावर हैं. पार्टी ने मनुस्मृति और बंच ऑफ थॉट्स को किनारे कर रामचरित मानस पर टिप्पणी को बहस का मुद्दा बना दिया है.
नीतीश कुमार का इस बयान पर क्या कहना है
बिहार के शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर के बयान पर सीएम नीतीश कुमार ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा है कि किसी भी धर्म के बारे में बयान देना, उस पर टिप्पणी करना बिल्कुल गलत है, ऐसा नहीं होना चाहिए. धर्म के मामले में किसी को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए. सब अपने तरीके से धर्म का पालन करते हैं. सभी धर्म का पालन करने वालों को इज्जत मिलनी चाहिए, जिसको जिनकी पूजा करनी है करे. हमने पहले ही समझा दिया है. और अब तो डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने भी कह दिया है. ये नीतीश कुमार की अपने शिक्षा मंत्री के बयान पर पहली प्रतिक्रिया थी. इससे पहले तक वे यही कह रहे थे कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है. मंत्री से इस पर बात करेंगे.
अपने शिक्षा मंत्री के साथ खड़ी है आरजेडी
शिक्षा मंत्री के बयान पर डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने कहा, 'संविधान में सभी धर्मों के लिए समान सम्मान की बात है. हमारे लिए संविधान एक पवित्र पुस्तक की तरह है. लेकिन ऐसे मुद्दों पर बहस करने से गरीबी, बेरोजगारी जैसी समस्याओं को हल करने में कोई मदद नहीं मिलेगी.
साफ है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हों या डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव, रामचरित मानस पर अपने मंत्री के बयान की सीधे-सीधे निंदा से दोनों नेता बचते नजर आए. शायद यही वजह है कि आरजेडी अपने मंत्री के बयान के साथ दिखाई दी और खुद शिक्षा मंत्री भी अपनी बात पर कायम हैं.
आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह अपने शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के कंधे पर हाथ रखकर कहते हैं कि पूरी पार्टी आपके साथ है, पूरे समाजवादी इस बयान का समर्थन करते हैं. सिंह ने शिक्षा मंत्री को समाजवादियों की राह पर चलने वाला बताया और कहा कि कमंडलवादियों से लड़ने के लिए मंडलवादी पूरी तरह से तैयार हैं. शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के बयान को कमंडल के खिलाफ मंडल का बयान माना जाना चाहिए. ऐसे में हमें उनके साथ खड़े होने की जरूरत है. आरजेडी नेता शिवचंद्र राम ने भी कहा कि मंत्री चंद्रशेखर ने जो बातें कही हैं वह रामचरितमानस में लिखी हुई हैं. उन्होंने अपने मन से कोई बात नहीं कही है.
चंद्रशेखर भी अपने बयान पर कायम
प्रो. चंद्रशेखर ने कहा कि रामचरितमानस सहित मनुस्मृति और बंच ऑफ थॉट पर दिए बयान पर वह कायम हैं. उन्होंने कहा कि रामचरित मानस के 5-6 दोहे ऐसे हैं, जिनका विरोध किया जाना चाहिए और उन दोहों पर उन्हें घोर आपत्ति है. उन्होंने सफाई देने के अंदाज में कहा कि हिन्दू धर्मग्रंथों पर कई साल से वैचारिक संघर्ष चल रहा है. उन्होंने दोहराया कि मनुस्मृति व रामचरितमानस समाज में नफरत फैलाने वाले ग्रंथ हैं. समाज में पिछड़ों, महिलाओं और दलितों को शिक्षा हासिल करने से यह रोकते हैं. उन्हें बराबरी का हक देने से भी मना करते हैं. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि वह संपूर्ण रामचरित मानस का विरोध नहीं कर रहे, बल्कि उसके कुछ अंशों पर उनको आपत्ति है.
मेरा बयान बहुजनों के हक में है और मैं उस पर अडिग व कायम रहूंगा।
— Prof. Chandra Shekhar (@ProfShekharRJD) January 12, 2023
ग्रंथ की आड़ में गहरी साजिश से देश में जातीयता व नफरत का बीज बोने वाले बापू के हत्यारों के प्रतिक्रिया की परवाह नहीं करता। वे इस कटु सत्य को भी विवादित बयान समझते हैं तो यह उनकी समझ हो सकती है।। pic.twitter.com/YwU5bF0Ze1
बिहार में यह मुद्दा ऐसे समय गरमाया है जब जातिगत जनगणना कराई जा रही है. जातिगत जनगणना को लेकर पहले से सियासत तेज है. इस मुद्दे पर बीजेपी बिखरी हुई और बैकफुट पर खड़ी दिख रही थी, लेकिन शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के बयान के बाद वह काफी आक्रामक नजर आ रही है. दूसरी ओर आरजेडी ने भी इस बहाने कमंडल बनाम मंडल की सियासत का राग छेड़ दिया है. कहीं न कहीं पार्टी को इस मुद्दे पर दलितों, पिछड़ों का साथ मिलने की उम्मीद है जो हिंदुत्व की राह पर चल रही बीजेपी की सियासत को कमजोर कर सकता है.
गौरतलब है कि बिहार की तरह दिल्ली में भी अरविंद केजरीवाल के मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने बौद्ध समुदाय के एक कार्यक्रम में बाबा साहब की 22 प्रतिज्ञाएं ली थी, जिसमें उन्होंने हिंदू देवी-देवताओं पर टिप्पणी की थी. बीजेपी ने इस मुद्दे को लेकर आक्रमक रुख अपनाया तो केजरीवाल ने तुरंत गौतम से इस्तीफा ले लिया. बिहार के शिक्षा मंत्री ने भी ऐसा बयान दिया है. बीजेपी भी आक्रमक है लेकिन राज्य के सियासी समीकरण मंत्री पर किसी एक्शन की गुंजाइश नहीं छोड़ते.
बिहार में पिछले साढ़े तीन दशक से सत्ता की कमान ओबीसी समुदाय के हाथ में है. 2014 में नरेंद्र मोदी के केंद्र में सरकार बनाने के बाद बीजेपी ने भले ही देश के तमाम राज्यों में सत्ता पर कब्जा किया हो, लेकिन बिहार के जातियों के जोर वाली सियासत के तिलिस्म में वो बार बार फंस जा रही है क्योंकि यहां ओबीसी और दलित वोटर्स काफी अहम और निर्णायक भूमिका में हैं.
जातिगत जनगणना को लेकर पहले ही सियासत तेज है और अब प्रो चंद्रशेखर के बयान को लेकर आरजेडी जिस मजबूती से अपने मंत्री के साथ खड़ी है उससे साफ है कि ये महज किसी मंत्री की जुबान फिसलने या एकाएक गलत बयान दे देने भर का मामला नहीं है बल्कि एक सोची-समझी रणनीति है जो आरजेडी की भविष्य की राजनीति का आधार भी बन सकती है. आरजेडी बिहार में समाजवाद का चेहरा गढ़ना चाहती है, इसके लिए जरूरी है कि इन मुद्दों पर बहस जोर पकड़े क्योंकि इसका फायदा अंततः उसे ही मिलेगा.