scorecardresearch
 

16 साल की बच्ची के साथ रक्षा गृह में रेप

बिहार के मुजफ्फरपुर के उत्तर रक्षा गृह में एक 16 साल की बच्ची के साथ हैवानित का मामला सामने आया है. वार्डन की मदद से जीरोमाइल निवासी इंद्रजीत ने उसके साथ तीन बार रेप किया. इतना ही नहीं मुंह खोलने पर उसे जान से मारने की धमकी भी दी गई.

Advertisement
X

बिहार के मुजफ्फरपुर के उत्तर रक्षा गृह में एक 16 साल की बच्ची के साथ हैवानित का मामला सामने आया है. वार्डन की मदद से जीरोमाइल निवासी इंद्रजीत ने उसके साथ तीन बार रेप किया. इतना ही नहीं मुंह खोलने पर उसे जान से मारने की धमकी भी दी गई.

Advertisement

वार्डन और इंद्रजीत की ओर से धमकी मिलने पर वह 28 सितंबर को रक्षा गृह से फरार हो गई थी. बच्ची तीन महीने की प्रेगनेंट है. राजकीय उत्तर रक्षा गृह में भी लड़कियां सुरक्षित नहीं हैं. लड़की का यौन शोषण भी किया गया, मामले का खुलासा तब हुआ जब पीड़ित लड़की की मेडिकल जांच हुई. सदर हॉस्पिटल में हुई मेडिकल जांच में लड़की गर्भवती पाई गई. इस मामले का खुलासा होने पर प्रशासनिक महकमे में खलबली मच गई.

पिता और भाई की हवस का शिकार भी हो चुकी है पीड़िता
पिता और भाई द्वारा लगातार यौन शोषण किए जाने से आजिज आकर दिल्ली की रहने वाली लड़की सोनी (काल्पनिक नाम) ने अपना घर छोड़ नई दुनिया बसानी चाही, लेकिन किस्मत ने उसे एक बार फिर दगा दिया. सोनी अपनों की हवस का शिकार होने के बाद घर छोड़ कर महाराष्ट्र भाग गई थी. महाराष्ट्र चाइल्ड लाइन ने उसे पटना के हवाले कर दिया. पटना ने एक साल पहले सोनी को मुजफ्फरपुर के उत्तर रक्षा गृह के हवाले कर दिया था.

Advertisement

वार्डन पर पीड़िता ने लगाए गंभीर आरोप
पीड़िता ने बताया की सविता नाम की वार्डन की सहमति से इंद्रजीत नाम के युवक ने उसके साथ कई बार यौन शोषण किया. पीड़िता ने जब इसकी शिकायत वार्डन से की तो उसे धमकियां और शादी का प्रलोभन मिलने लगा. इससे घबरा कर पीड़िता 28 सितंबर को दरभंगा भाग गई. दरभंगा स्टेशन से जीआरपी ने उसे दरभंगा चाइल्ड लाइन के हवाले कर दिया.

खुलासे के बाद फैली सनसनी
दरभंगा चाइल्ड लाइन ने 30 अक्टूबर को मुजफ्फरपुर स्थित बाल कल्याण समिति के हवाले कर दिया. बाल कल्याण समिति के निर्देश पर लड़की की सदर हॉस्पिटल में मेडिकल जांच कराई गई. जांच में पता चला कि लड़की प्रेगनेंट है. इस खुलासे के बाद अधिकारियों में सनसनी फैल गई. चाइल्ड लाइन इस खुलासे के बाद बाल कल्याण समिति को लिखित तौर पर पीड़िता को वापस बुलाने का पत्र दिया. लेकिन बाल कल्याण समिति ने न तो पीड़िता की कहीं रहने की उचित व्यवस्था की और न ही इस मामले की कोई शिकायत पुलिस में दर्ज कराई.

मामले को दबाने की कोशिश
विभाग और जिले के कई अधिकारी इस मामले के दबाने में लगे हैं, इसका सबसे बड़ा सबूत ये है कि मेडिकल जांच में 12 दिन पहले ही पीड़िता के गर्भवती होने के खुलासे के बाद भी अभी तक FIR नहीं दर्ज कराया जाना. उत्तर रक्षा गृह से वार्डन के छुट्टी के नाम पर फरार होना. जिले के वरिष्ठ अधिकारीयों का इस मामले में चुप्पी साधना. वहीं पीड़ित बच्ची भी अपने बयान को समय-समय पर बदल रही है. जो जांच का विषय है.

Advertisement
Advertisement