बिहार में शुक्रवार को मंत्री पद की शपथ लेने वाले रत्नेश सदा को एससी एसटी कल्याण विभाग दिया गया है जो पहले जीतन राम मांझी के पुत्र संतोष सुमन के पास था. दरअसल पिछले दिनों हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) पार्टी के चीफ जीतन राम मांझी के बेटे संतोष सुमन ने नीतीश कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया. नीतीश ने उन्हें अल्पसंख्यक कल्याण विभाग का मंत्री बनाया था.
संतोष मांझी ने इस्तीफे की वजह बताते हुए कहा था, 'जेडीयू चाहती थी कि हम अपनी पार्टी का विलय कर लें. हमें वो मंजूर नहीं था. हम तो अपना अस्तित्व बचा रहे हैं. नीतीश कुमार हमारा अस्तित्व खत्म करना चाह रहे हैं.' हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अभी हम महागठबंधन में हैं. कोशिश करेंगे कि उसी में रहें, लेकिन अगर सीट नहीं देंगे, तो हम अपना रास्ता देखेंगे.
तीन बार से विधायक चुने जा रहे रत्नेश सादा
11 साल से सोनबरसा से जदयू विधायक रत्नेश सादा की अपने क्षेत्र में मजबूत पकड़ है. वह महादलित समुदाय से आते हैं. रत्नेश सादा का राजनीतिक सफर 1987 से शुरू हुआ था, लेकिन वह पहली बार 2010 में विधानसभा चुनाव जीते थे. इसके बाद वह 2015 और 2020 में विधायक चुने गए. रत्नेश सादा अभी जेडीयू महादलित प्रकोष्ठ के अध्यक्ष हैं. वह पार्टी में उपाध्यक्ष, प्रदेश महासचिव, सुपौल जिला संगठन प्रभारी समेत पदों पर भी रह चुके हैं. रत्नेश ग्रैजुएट हैं. उन्होंने संस्कृत में आर्चाय की डिग्री हासिल की है. उनकी कुल संपत्ति 1.30 करोड़ की है. उनके खिलाफ अभी तक कोई केस दर्ज नहीं हुआ है.
रत्नेश मुसहर समाज से आते हैं. उनका जीवन संघर्षों से भरा रहा. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उनकी पड़ोसी शंभू दास ने बताया कि एक वक्त था जब रत्नेश रिक्शा चलाकर जीवन यापन करते थे. उनके पिता लक्ष्मी सादा मजदूरी करते थे. दलित समाज के विकास के लिए वह लगातार काम कर रहे हैं.