हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के आरजेडी से हाथ मिलने की वजह से उनकी पार्टी में ही बगावत होने लगी है.
पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह ने कहा, जीतनराम मांझी का यह फैसला अलोकतांत्रिक है, तानाशाही है और वह अपने परिवार का हित साधने के लिए ऐसा कदम उठा रहे हैं. मांझी अब अपने बेटे और अपने लिए कुर्सी मांग रहे हैं, लेकिन मेरी लड़ाई गरीबों के हित के लिए थी और इस पार्टी का गठन गरीबों के हित के लिए किया गया था.
नरेंद्र सिंह ने कहा कि मैं कार्यकारिणी का सदस्य रहा हूं, मैंने कभी पद नहीं स्वीकारा. हम पार्टी के संयोजक हैं, पार्टी को बनाते हैं, कार्यकारी सदस्य काफी हैं, एक तो उन्होंने खुद गलत किया, पहले खुद अध्यक्ष हो गए और बेटे को प्रधान सचिव बना दिया.
एक राय से चलती है पार्टी
'हम' नेता ने कहा, अब हम लोगों ने यह तय किया है कि जो फैसला जीतन राम मांझी ने लिया है वह अलोकतांत्रिक है, तानाशाहीपूर्ण है, परिवार के संरक्षण के लिए है और उपेक्षा करके कार्यकर्ताओं का घोर अपमान करके उन्होंने यह कदम अपने और परिवार के हित में उठाया है. पूरी पार्टी उनकी निंदा करती है और हम कार्यकारिणी की बैठक करके 15 दिन के अंदर निर्णय करेंगे और आगे जो भी होगा वह सबकी राय से होगी. कोई भी पार्टी लोगों की एक राय से चलती है.
लालू के खिलाफ संघर्ष
नरेंद्र सिंह कहा कि लालू प्रसाद के खिलाफ हमने संघर्ष किया 15-20 साल जंगलराज के खिलाफ. वहां अचानक जाने का कोई औचित्य नहीं है, एक कार्यकर्ता भी साथ नहीं है, कुछ व्यक्तिगत लोग जो उनके दरबार में हैं या जिन लोगों को लगता है कि वहां जल्दी कुर्सी मिल जाएगी मगर कुर्सी मिलेगी नहीं. आरजेडी में जाने वाले लोग भ्रम में हैं.
हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा का नए सिरे होगा गठन
'हम' नेता ने कहा, लोग भ्रम में आरजेडी में चले गए हैं. इसलिए जीतन राम मांझी के महागठबंधन में शामिल होने के फैसले की निंदा करते हैं. हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा महागठबंधन के साथ नहीं है. आज भी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा एनडीए का हिस्सा है और रहेगा. हम फिर से राष्ट्रीय अध्यक्ष, प्रदेश अध्यक्ष का चयन करने के लिए 10-15 दिनों में कार्यकर्ताओं का सम्मेलन करेंगे.