बिहार में सत्ताधारी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) में घमासान तेज हो गया है. पार्टी के नाराज मंत्रियों ने पार्टी प्रवक्ताओं के इस्तीफे की मांग की है.
बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के साधू यादव से मिलने की खबरों के बाद जेडीयू प्रवक्ता ने उनपर सवाल उठाए थे. दूसरे प्रवक्ता ने मांझी के समर्थन में बोलने वाले तीन मंत्रियों का इस्तीफा मांग लिया था. नीतीश मिश्रा, नरेंद्र सिंह और वृषण पटेल ने मांझी का बचाव करते हुए कहा था कि उन्हें पद पर बने रहना चाहिए.
याद रहे कि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जीतनराम मांझी के बीच रिश्तों पहले जैसे मधुर नहीं रहे. बिगड़ते रिश्तों के बीच अक्सर ही यह खबर आती है कि मांझी को किसी भी वक्त सीएम पद से हटाया जा सकता है. हालांकि नीतीश सार्वजनिक तौर पर इन खबरों का खंडन करते रहे हैं. लेकिन तीन मंत्रियों की ताजा बगावत ने एक बार फिर जेडीयू के अंतर्कलह को सुर्खियों में ला दिया है.
नीतीश विरोधी खेमे के ये मंत्री मांझी को बचाने के अलावा जेडीयू-आरजेडी विलय अभियान की भी हवा निकालने में जुट गए हैं. नरेन्द्र सिंह, वृषण पटेल और नीतीश मिश्रा ने मांझी को नहीं हटने देने का दावा किया, साथ ही अगले सीएम के तौर पर भी मांझी को ही प्रोजेक्ट करने की बात कही.
नरेंद्र सिंह तो एक कदम और आगे चल गए. उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी का गुणगान किया. साथ ही इशारा भी दिया कि मांझी को बचाने के लिए बीजेपी से साठ-गांठ करने को तैयार हैं. बिहार के कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह ने 'आज तक' से कहा, 'मांझी को हटाना जहर खाने जैसा होगा. मांझी इस कार्यकाल में नहीं हटेंगे साथ ही अगला मुख्यमंत्री विधायक दल तय करेगा. नीतीश के नेतृत्व में लड़ने का मतलब मुख्यमंत्री बनाना नहीं है.'
वहीं, शिक्षा मंत्री वृषण पटेल ने चेतावनी दी है कि अगर मांझी हटाए गए तो मोदी के अश्वमेघ यज्ञ का घोड़ा बिहार में कोई नहीं रोक पाएगा. उनकी मांग है कि बिहार का अगला सीएम भी महादलित ही हो. ग्रामीण विकास मंत्री नीतीश मिश्रा की मानें तो पार्टी में कई विधायक जेडीयू-आरजेडी का विलय के पक्ष में नहीं हैं.