बिहार में 30 अक्टूबर को 2 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं, मगर इससे पहले महागठबंधन में सबकुछ अच्छा नहीं है. आरजेडी के दोनों सीटों-कुशेश्वरस्थान और तारापुर पर उम्मीदवार उतारने के बाद अब कांग्रेस ने भी दोनों सीटों पर आरजेडी के खिलाफ उम्मीदवार उतारने का फैसला कर लिया है. कांग्रेस की तरफ से आरजेडी के खिलाफ दोनों उम्मीदवारों के नाम की घोषणा आज शाम तक हो जाएगी.
बिहार उपचुनाव में जिस तरीके से आरजेडी और कांग्रेस एक दूसरे के खिलाफ जोर आजमाइश करती नजर आएगी इसके पीछे की वजह को अगर जाने तो कहीं न कहीं कांग्रेस में हाल में शामिल हुए जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष और सीपीआई नेता कन्हैया कुमार एक बहुत बड़ी वजह हैं.
दरअसल, जब से कन्हैया कुमार कांग्रेस में शामिल हुए हैं तब से कांग्रेस का मनोबल एकदम 7वें आसमान पर है और वह आरजेडी को भाव देने के मूड में नजर नहीं आ रही है. वहीं, दूसरी तरफ आरजेडी की नाराजगी इस बात को लेकर है कि कांग्रेस ने कन्हैया कुमार को पार्टी में शामिल करने से पहले उस से विचार-विमर्श नहीं किया और एक तरफा फैसला करते हुए उन्हें पार्टी में शामिल किया.
आरजेडी को क्यों ऐतराज़ है?
ऐसे में सवाल उठता है कि अगर कन्हैया कुमार कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं तो उसके आरजेडी को क्यों ऐतराज़ है और आखिर क्यों आरजेडी चाहती थी कि कन्हैया कुमार को पार्टी में शामिल कराने से पहले कांग्रेस और उससे राय विचार करें? दरअसल, आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद कन्हैया कुमार को अपने बेटे और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के खिलाफ एक बड़ी चुनौती मानते हैं.
यही वजह है कि 2019 लोकसभा चुनाव में सीपीआई महागठबंधन का हिस्सा थी और पार्टी ने कन्हैया कुमार को बेगूसराय से अपना उम्मीदवार बनाया था तो आरजेडी ने कन्हैया कुमार के खिलाफ तनवीर अख्तर को अपना उम्मीदवार उतार दिया.
लालू के इस कदम से स्पष्ट हो गया था कि वह किसी कीमत पर तेजस्वी के सामने एक युवा नेता को नहीं विकसित होते देखना चाहते हैं जो ना केवल एक युवा चेहरा है बल्कि जबरदस्त वक्ता भी. लालू को इस बात का डर था कि तेजस्वी के सामने कन्हैया चुनौती बन सकता है और इसी कारण से उन्होंने कन्हैया के खिलाफ बेगूसराय में अपना उम्मीदवार उतारा था.
कन्हैया के कांग्रेस में शामिल होने के बाद देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी को एक नई ऊर्जा मिली है और क्योंकि वह बिहार के ही रहने वाले हैं तो ऐसे में बिहार कांग्रेस का मनोबल ऊंचा है और वह आरजेडी की पिछलग्गू पार्टी बनकर काम नहीं करना चाहती है.
शायद यही वजह है कि कन्हैया कुमार के कांग्रेस में एंट्री के बाद जब बिहार उपचुनाव के लिए उम्मीदवारों की घोषणा करने का वक्त आया तो आरजेडी ने कांग्रेस से बिना विचार विमर्श किए दोनों सीटों पर अपने उम्मीदवार की घोषणा कर दी जबकि कुशेश्वरस्थान कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है और पिछले विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस पार्टी इस सीट पर दूसरे नंबर पर आई थी.
कांग्रेस में बेहद नाराजगी है
आरजेडी के इस एकतरफा फैसले से कांग्रेस में बेहद नाराजगी है और पार्टी का आरोप है कि आरजेडी ने गठबंधन धर्म का पालन नहीं किया. अब जब कन्हैया कुमार कांग्रेस का हिस्सा है तो कांग्रेस भी कड़े तेवर दिखा रही है और उसने घोषणा कर दी है कि आज शाम तक वह आरजेडी के दोनों उम्मीदवारों के खिलाफ अपने उम्मीदवार के नाम की घोषणा कर देगी.
कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा ने कहा, “कोई भी व्यक्ति किसी राजनीतिक पार्टी को ज्वाइन करेगा तो दूसरे पार्टी से क्यों पूछेगा ? अगर कोई आरजेडी में शामिल होता है तो क्या कांग्रेस से पूछा जाता है? जब गठबंधन होता है तो गठबंधन धर्म का पालन सभी पार्टियों को करना चाहिए. उपचुनाव में दोनों सीटों पर उम्मीदवार खड़ा करके आरजेडी गठबंधन धर्म का पालन नहीं किया.”
वहीं, आरजेडी भी कांग्रेस के दबाव में झुकने को तैयार नहीं है. आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने साफ कर दिया है कि पार्टी ने दोनों सीटों पर उम्मीदवार खड़े करने के फैसले से बिहार कांग्रेस प्रभारी भक्त चरण दास को जानकारी दे दी थी.
क्या बोले तेजस्वी यादव?
तेजस्वी यादव ने कहा, “हमारी बात बिहार कांग्रेस के प्रभारी से हुई थी कि हमारी पार्टी दोनों सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है. उपचुनाव में अगर कांग्रेस के साथ दोस्ताना लड़ाई होती है तो उससे कोई दिक्कत नहीं है. महागठबंधन में जब कोई दरार नहीं है.”
कांग्रेस नेता अजीत शर्मा ने कहा, “कन्हैया कुमार दोनों सीटों पर होने वाले उपचुनाव में प्रचार करेंगे. वह बिहार के ही रहने वाले हैं और हम चाहते हैं कि उनके साथ-साथ जेएनयू के और छात्र नेता भी कांग्रेस का दामन थाम ले.”