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कन्हैया के बाद पप्पू यादव...बिहार में बैसाखी का सहारा छोड़ने की तैयारी में कांग्रेस

कन्हैया कुमार के कांग्रेस में शामिल होने के बाद अब 5 महीने बाद जेल से बाहर आए पूर्व सांसद पप्पू यादव की भी एंट्री हो सकती है. भूमिहार नेता के रूप में कन्हैया कांग्रेस में आ चुके हैं और अब कांग्रेस को एक यादव फेस की जरूरत है. माना जा रहा है कि पप्पू यादव कांग्रेस की इसी रणनीति का हिस्सा बन सकते हैं.

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कन्हैया कुमार और पप्पू यादव
कन्हैया कुमार और पप्पू यादव
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बिहार में कांग्रेस क्या आरजेडी का साथ छोड़ेगी?
  • कन्हैया के बाद पप्पू यादव थामेंगे कांग्रेस का हाथ!
  • बिहार में तेजस्वी यादव के लिए बढ़ाएंगे चुनौती?

बिहार में कांग्रेस अब आरजेडी की बैसाखी का सहारा छोड़ने का मन बना चुकी है और दोबारा से अपनी सियासी जमीन को वापस पाने का प्रयास करना शुरू कर दिया है. कन्हैया कुमार के कांग्रेस में शामिल होने के बाद अब 5 महीने बाद जेल से बाहर आए पूर्व सांसद पप्पू यादव की भी एंट्री हो सकती है. पप्पू यादव आज यानि बुधवार को अपनी कोर कमेटी के साथ मंथन करेंगे और राहुल गांधी से मुलाकात करेंगे. हालांकि, उन्होंने बिहार उपचुनाव में कांग्रेस के साथ खड़े होने का ऐलान कर दिया है.

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महागठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं 

बिहार में महागठबंधन के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. दो सीटों पर हो रहे उपचुनाव को लेकर कांग्रेस और आरजेडी में दरार पड़ गई है. आरजेडी के कैंडिडेट उतारने के बाद कांग्रेस भी प्रत्याशी उतारने की तैयारी में है. आरजेडी से बिगड़ते रिश्ते के बीच कांग्रेस बिहार में अपनी सियासी जमीन तैयार करने की रणनीति में जुट गई है. ऐसे में कन्हैया कुमार के बाद पप्पू यादव कांग्रेस का दामन थामते हैं तो बिहार की सियासत में साफ है कि कांग्रेस आरजेडी से नाता तोड़ने का मन बना चुकी है.  

पप्पू यादव का कांग्रेस से नाता 

पप्पू यादव की पत्नी रंजीत रंजन बिहार के सुपौल सीट से कांग्रेस की सांसद रह चुकी हैं. मौजूदा समय में कांग्रेस की राष्ट्रीय सचिव हैं. ऐसे में पप्पू यादव के कांग्रेस में शामिल होने की संभावना बढ़ गई है. मंगलवार को पप्पू यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर तारापुर और कुशेश्वरस्थान में हो रहे उप चुनाव में कांग्रेस को मदद करने का ऐलान किया है. साथ ही दोनों सीटों पर कांग्रेस को जिताने के लिए कैंप करने की बात कही है.  

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पप्पू यादव बुधवार को अपनी कोर कमेटी की बैठक करेंगे और अपनी पत्नी रंजीत रंजन से भविष्य की राजनीति पर मंथन करेंगे. इसके बाद राहुल गांधी से मुलाकात करेंगे, जिसमें कांग्रेस में शामिल होने पर चर्चा करेंगे. हालांकि, पप्पू यादव पहले ही कह चुके हैं कि कांग्रेसी अभी बिहार में आरजेडी से अलग होकर अपनी विचारधारा के साथ नये बिहार के निर्माण की बात करे. पप्पू ने कहा कि अगर कांग्रेस ऐसा करती है तो हमारी पार्टी निश्चित रूप से कांग्रेस को सपोर्ट करेगी. एक तरह से साफ है कि पप्पू यादव कांग्रेस को बिहार में आरजेडी से मुक्त रखना चाहते हैं. 

कन्हैया के जरिए कांग्रेस ने दिया संदेश

बता दें कि कांग्रेस कन्हैया कुमार को पार्टी में लाकर बिहार में पहले ही बड़ा संदेश दे चुकी है. कन्हैया बिहार से आते हैं और भूमिहार समुदाय से हैं. बिहार की सियासत में भूमिहारों का अपना वर्चस्व रहा है और वो कांग्रेस का कभी परंपरागत वोटर माने जाते थे. बिहार के तमाम कांग्रेसी नेता कन्हैया कुमार को प्रदेश का भविष्य का नेता बता रहे हैं तो बिहार कांग्रेस प्रभारी भक्त चरण दास ने पार्टी की सदस्यता के दौरान ही कहा था कि बिहार की धरती आपको संघर्ष के लिए आवाज दे रही है. इसका संकेत साफ है कि कांग्रेस कन्हैया कुमार के रूप में बिहार में एक बड़े नेता के तौर पर आगे बढ़ा सकती है.  

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बिहार में कांग्रेस को यादव चेहरे की तलाश

वहीं, बिहार में कांग्रेस को एक ऐसा यादव नेता चाहिए जिसकी छवि ठीक हो. पप्पू यादव ने लगातार समाजसेवा से अपनी अलग छवि गढ़ी है. कोर्ट द्वारा बाइज्जत बरी किए जाने से यह मैसेज पब्लिक में गया है कि कोरोना काल में लोगों की सेवा और बीजेपी के पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूढ़ी से जुड़ा एम्बुलेंस मामला उजागर करने का खामियाजा ही उन्हें भुगतना पड़ा.

कांग्रेस के पास बिहार में कोई बड़ा यादव जाति का नेता नहीं है. चंदन यादव राष्ट्रीय सचिव हैं, लेकिन पप्पू यादव जैसी बड़ी इमेज नहीं है. ऐसे में कांग्रेस पप्पू यादव को मिलाकर इस कमी की भरपाई कर सकती है. कन्हैया कुमार और पप्पू यादव दोनों ही ऐसे नेता हैं, जिनके साथ तेजस्वी यादव की राजनीतिक पटरी नहीं खाती है. 

साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बेगुसराय सीट पर कन्हैया कुमार के खिलाफ आरजेडी ने अपना प्रत्याशी उतार दिया था जबकि कांग्रेस की मंशा नहीं थी. इतना ही नहीं तेजस्वी के चलते ही पप्पू यादव की कांग्रेस में एंट्री नहीं हो पा रही थी. कांग्रेस 2019 में पप्पू यादव को कोसी इलाके की किसी सीट से चुनाव लड़ाना चाहती थी, लेकिन आरजेडी तैयार नहीं हुई. लेकिन, अब कांग्रेस आरजेडी की बैसाखी के सहारे नहीं चलना चाहती है. ऐसे में कन्हैया के बाद पप्पू की एंट्री से सियासी बिसात बिछाई जा रही है. 
 

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