बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव को लगभग 40 महीने रांची जेल में रहने के बाद जमानत मिली है. लालू के जेल से बाहर आने का रास्ता साफ होते ही महागठबंधन में खुशी की लहर है तो एनडीए खेमे में घबराहट साफ देखी जा सकती है. बीजेपी नेता सुशील मोदी आरजेडी सुप्रीमो की जमानत पर सिर्फ बेचैन ही नहीं बल्कि नीतीश सरकार के लिए संकट की आहट के संकेत भी दे रहे हैं. वहीं, लालू के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव ने साफ कह दिया है कि अब नीतीश सरकार की सत्ता से विदाई तय है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या वाकई लालू यादव के आने से बिहार की सियासत नई करवट लेगी?
दरअसल, चारा घोटाले में 23 दिसंबर, 2017 को जेल जाने के बाद से आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद चुप रहकर लगातार पर्दे के पीछे से ही राजनीति करते आ रहे थे. इसके बावजूद उनका राजनीतिक कुनबा पूरी तरह से बिखर गया था. तेजस्वी यादव के नेतृत्व में भले ही आरजेडी बिहार में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी हो, लेकिन वह जोड़-तोड़ कर महागठबंधन की सरकार बनाने में सक्षम नहीं रहे. अब जमानत मिलने और जेल से बाहर आने के बाद लालू यादव तमाम बंदिशों से मुक्त और मुखर होकर हस्तक्षेप करेंगे तो विपक्ष की राजनीति को नई धार जरूर मिलेगी.
बिहार में लालू अब खुलकर खेलेंगे सियासी खेल
बिहार की राजनीति के बेताज बादशाह कहे जाने वाले लालू यादव दिल्ली, पटना या रांची कहीं भी रहे, राजनीति उनकी रगों में है. उनके जेल से बाहर आकर राजनीति को पूरा समय देने का बिहार की सियासत पर मनोवैज्ञानिक असर पड़ सकता है. विपक्षी खेमे के साथ-साथ सत्ता पक्ष भी लालू के असर से वंचित नहीं रह सकता है. पिछले साल नंवबर में चुनाव के नतीजे के बाद तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने के लिए उनकी सक्रियता को देखा जा चुका है. तब जेल अस्पताल में होने के कारण उन पर तमाम तरह के पहरे भी थे. इसके बाद भी बीजेपी-जेडीयू के शीर्ष नेताओं को लालू ने अपनी कोशिशों से कुछ समय के लिए हैरत में डाल दिया था.
सुशील मोदी ने कहा कोई असर नहीं पड़ेगा
लालू यादव को जमानत मिलने से उनके धुरविरोधी बीजेपी नेता सुशील मोदी सोशल मीडिया पर लगातार सवाल उठाते नजर आए. सुशील मोदी ने अपने लोगों को दिलासा देते हुए यहां तक कह दिया कि उनके आ जाने से कोई असर नहीं पड़ेगा. सुशील मोदी ने ट्वीट कर कहा कि लालू प्रसाद को जमानत मिलना उनके परिवार को सुकून देने वाला है, पर उनके अति उत्साही समर्थक यदि जश्न के बहाने सड़कों पर तेल पिलाई लाठी लेकर निकलेंगे, इस पर राजनीति करेंगे तो उन्हें कोरोना प्रोटोकॉल तोड़ने की छूट नहीं दी जा सकती है.
वहीं, आरजेडी नेता शिवानंद तिवारी ने कहा कि सुशील मोदी इतना गिर सकता है, इसकी कल्पना मुझे नहीं थी. लालू यादव की ज़मानत पर उसकी जो प्रतिक्रिया आई है, उसे पढ़ कर घिन आती है. लालू राजनीतिक जीव हैं. बगैर किसी राजनीतिक बंधन के अदालत ने उन्हें छोड़ा है, सुशील मोदी की यह हैसियत नहीं हो पाई है कि वह लालू यादव को राजनीति करने से रोक सके.
लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे और आरजेडी विधायक तेज प्रताप यादव ने बिहार सरकार पर हमला बोला है. उन्होंने कहा है कि नीतीश कुमार का वजूद खत्म हो गया है. अरुणाचल प्रदेश का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि हर जगह जेडीयू में टूट हो रही है. उन्होंने दावा किया कि बहुत जल्द ही बिहार में भी सरकार गिरने वाली है. तेज प्रताप यादव ने कहा कि डबल इंजन की सरकार होने के बावजूद भी बिहार में हमसे ज्यादा सीटें एनडीए गठबंधन के पास नहीं है.
बिहार विधानसभा का गणित
बिहार विधानसभा में नंबर गेम देखें तो महागठबंधन के पास 110 सीटें है, जिनमें आरजेडी के 75, कांग्रेस के 19 और लेफ्ट पार्टी के 16 विधायक शामिल हैं. वहीं, दूसरी ओर एनडीए पास 127 विधायकों का समर्थन हासिल है, जिसमें बीजेपी के 74, जेडीयू के 44, हम के 4, वीआईपी के 4 और एक निर्दलीय विधायक का समर्थन है.
दरअसल जेडीयू के एक विधायक मेवालाल की आज यानी कि सोमवार को कोरोना से मौत हो गई है. इस वजह से जेडीयू के विधायकों की संख्या 44 रह गई है. चुनाव में पार्टी के 43 विधायक जीते थे, जिसमें एक बसपा और एक एलजेपी के विधायक के शामिल होने पर संख्या 45 हो गई थी. इसके बाद NDA की संख्या 128 से घटकर 127 रह गई है.इसके अलावा 5 विधायक असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM के हैं.
लालू की जमानत का मांझी ने किया स्वागत
आरजेडी सुप्रीमो की जमानत पर सुशील मोदी भले ही बेचैन हों, लेकिन नीतीश सरकार को समर्थन दे रहे जीतनराम मांझी की पार्टी ने उनका स्वागत किया है. हम के प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा कि लालू यादव की मिली जमानत का हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा स्वागत करती है. जीतन राम मांझी उनके स्वास्थ्य को लेकर हमेशा चिंतित रहते थे.उन्होंने हमेशा इस चीज का जिक्र भी किया है कि लालू प्रसाद यादव जल्द ही स्वस्थ होकर हमसब के बीच में आएं. उन्हें जमानत मिली है यह खुशी का माहौल है. जमानत के बाद अब वह समुचित इलाज कराकर जल्द ही हम सबों के बीच में आएंगे.
दरअसल, नीतीश सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार और मनोनीत एमएलसी कोटे जीतनराम मांझी और मुकेश सहनी की पार्टी को कुछ नहीं मिला है जबकि दोनों ही नेता एक-एक एमएलसी और एक-एक मंत्री पद की डिमांड कर रहे थे. ऐसे में लालू के स्वागत जिस तरह से मांझी की पार्टी के प्रवक्ता ने किया है, उसके सियासी संदेश हैं. इसके अलावा मुकेश सहनी पर लालू चुनाव नतीजे के बाद डोरे डाल रहे थे, लेकिन उस समय बात नहीं बन पाई. ऐसे में लालू के आने के एनडीए खेमे के यादव विधायकों पर भी नजर हो सकती है. साथ ही लालू अगर ओवैसी के पांच विधायकों को साधने में कामयाब रहते हैं तो बिहार में सियासी तौर पर उल्टफेर देखने को मिल सकता है, जिसके लिए एनडीए खेमे में घबराहट है.