बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की आरजेडी प्रमुख लालू यादव से मदद की अपील ने रंग दिखा दिया. नीतीश की अपील पर 20 साल की राजनीतिक दुश्मनी के बाद दोनों राजनेता एक बार फिर साथ आ गए. दो दिनों की लंबी गहन चर्चा के बाद लालू यादव ने जेडीयू के उम्मीदवारों के समर्थन का ऐलान किया तो नीतीश ने लालू को धन्यवाद देने में देरी नहीं की.
1994 के बाद ये पहला मौका है जब दोनों नेता करीब आए हैं. हालांकि लालू के समर्थन के ऐलान से बागियों को झटका लगा है, लेकिन अब भी नजरें गुरुवार को होने वाली वोटिंग पर टिकी हैं.
लालू यादव विधायक दल की दो बैठकों के बाद आखिरकार नीतीश कुमार और उनकी पार्टी को समर्थन देने पर राजी हो गए. बुधवार शाम करीब 5 बजे लालू ने ऐलान किया कि वो बीजेपी और सांप्रदायिक शक्तियों के मंसूबे को नाकाम करने के लिए जेडीयू के दोनों उम्मीदवारों का समर्थन करेगे. लालू ने कहा कि उनकी पार्टी एकजुट है और गुरुवार को जेडीयू के समर्थन में वोटिंग होगी. वैसे लालू की बुधवार की मीटिंग में भी आरजेडी के 4 विधायक नहीं आए और रघुवंश प्रसाद सरीखे नेता ने तो खुलकर जेडीयू को समर्थन देने के फैसले की मुखालफत भी की. इसके बावजूद लालू ने ऐलान कर दिया कि वो इस घड़ी मे नीतीश के साथ खड़े हैं.
एक तरफ जैसे ही लालू ने प्रेस कॉन्फ्रेस में जेडीयू के समर्थन का ऐलान किया, वैसे ही नीतीश कुमार ने भी धन्यवाद देने और अपनी खुशी का इजहार करने में वक्त नहीं लगाया. आनन-फानन में अपने घर पर बुलाई प्रेस कॉन्फ्रेस में नीतीश ने कहा कि लालू के समर्थन के बाद ये साफ हो गया कि बीजेपी मांझी सरकार को गिराने की योजना में सफल नहीं होगी. नीतीश कुमार ने कहा कि बीजेपी राज्यसभा चुनाव में खुलेआम पार्टियों में तोड़-फोड़ में लगी हुई थी, उनकी साजिश विफल हुई है और हम लालू यादव को उनके समर्थन के लिए धन्यवाद देते हैं.
हालांकि नीतीश कुमार ने फिर बागियों से घर लौट आने की अपील की है और कहा कि उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं होगी. उधर लालू यादव ने दावा किया कि उनके तमाम विधायक एकजुट हैं और कोई कहीं नहीं गया है. लालू और नीतीश की जोड़ी बनने के बाद गुरुवार का चुनाव काफी दिलचस्प होने की उम्मीद है. हालांकि बीजपी ने अभी अपना पत्ता नहीं खोला है, लेकिन बागियों के रुख के बाद वो भी मतदान का फैसला कर सकती है.