IIT JEE एडवांस्ड 2020 का परिणाम सोमवार को जारी हो गया. जिसमें बिहार के सहरसा निवासी अंजनेश राकेश ने 858 रैंक हासिल की है. इसके बाद परिवार वालों और गांव में खुशी की लहर है. घर का इकलौता बेटा आईआईटी जैसे एग्जाम में अच्छी रैंक से पास करे तो उसके परिजनों और सगे संबंधियों का खुश होना लाजमी है.
सहरसा सदर थाना के थाना अध्यक्ष इंस्पेक्टर आरके सिंह के इकलौते बेटे अंजनेश राकेश ने आईआईटी एडवांस्ड परीक्षा में 858 रैंक लाकर जहां अपने माता-पिता को गौरवान्वित किया. वहीं उनके गांव समस्तीपुर जिले के बारिश नगर प्रखंड के कृष्ण पुर बैकुंठ गांव में भी खुशी की लहर दौड़ गई.
आईआईटी एडवांस्ड परीक्षा में 858 रैंक से परिवार खुश
बता दें कि अंजनेश राकेश बचपन से ही पढ़ने में काफी होशियार हैं. वह अपने पिता से आगे बढ़ने की ललक रखते थे. उन्होंने अपनी हाईस्कूल की पढ़ाई झारखंड के देवघर स्थित आरके मिशन से शुरू की. जहां 2017 में उन्होंने हाईस्कूल की परीक्षा में 10 सीजीपीए रैंक हासिल की. वहीं 12th में उनका नामांकन मुजफ्फरपुर के पैरामाउंट एकेडमी में करा दिया गया. बचपन से ही मेधावी अंजनेश राकेश 2019 में 12th की परीक्षा में 94.5% लेकर आए. जिसके बाद उन्होंने दिल्ली एवं कोटा में रहकर आईआईटी की तैयारी शुरू की.
अंजनेश राकेश बचपन से ही पढ़ने में काफी होशियार थे
2019 में ही उन्होंने एडवांस्ड परीक्षा दी, लेकिन उसमें उनकी रैंक 7000 के करीब थी, लेकिन वह निराश नहीं हुए. जिसके बाद उन्होंने 2020 की परीक्षा में महामारी के दौरान सेल्फ स्टडी की. जहां कोचिंग सहित मार्गदर्शन के लिए कोई शिक्षक नहीं मिल रहे थे. ऐसे में अंजनेश ने सहरसा में अपने घर में ही रहकर सेल्फ स्टडी के बल पर आईआईटी जैसी कठिन परीक्षा को पास करने की ठान ली. कोरोना महामारी में सेल्फ स्टडी उनके लिए वरदान साबित हुई.
वे कमरे में बंद 14 से 15 घंटे सेल्फ स्टडी करते रहे, जिसका परिणाम काफी सुखद निकला. सोमवार को जब आईआईटी परीक्षा का परिणाम घोषित हुआ तो वह ऑल इंडिया 858 रैंक पर काबिज थे. उनके पिता राकेश कुमार सिंह इंस्पेक्टर हैं और सहरसा में काफी लोकप्रिय भी हैं.
रोज 14 से 15 घंटे पढ़ाई करते थे
अंजनेश की छोटी बहन रिद्धिमा सिंह भी काफी मेधावी हैं. वह भी 10th की परीक्षा में दरभंगा जिले के होली क्रॉस स्कूल में 96.2% अंक लाकर स्कूल में टॉप कर चुकी हैं. साथ ही बिहार स्तर पर भी उनकी रैंकिंग रही है. लेकिन रिद्धिमा का लक्ष्य यूपीएससी पास कर डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट बनने का है.
पिता आरके सिंह ने बताया कि अगर बेटा-बेटी दोनों अच्छी परीक्षा पास कर अच्छी जगह सेटल हो जाते हैं, तो इससे बड़ी बात किसी भी माता-पिता के लिए नहीं होगी. बेटे ने तो उनका सपना पूरा कर दिया अब बेटी से भी उम्मीद है कि वह भी उनके बाकी बचे सपने को पूरा करते हुए खुद आईएएस बनेगी और उन्हें भी गौरवान्वित करेगी.