बिहार के आरा जिले में सरस्वती पूजा का पंडाल काफी चर्चा में है. दरअसल, यह पंडाल देखने में आधार कार्ड (Aadhar Card) जैसा लगता है. इसे तैयार करने वालों का कहना है कि तमाम लोग आज भी सरकार की योजनाओं से वंचित हैं. बहुत से लोगों का आज भी आधार कार्ड नहीं बना है. हम चाहते हैं कि लोग इस पंडाल को देख प्रेरित हों और आधार बनवाकर सरकारी योजनाओं से जुड़ें.
जानकारी के अनुसार, यह पंडाल उदवंतनगर प्रखंड के पियनिया गांव में बनाया गया है. इसे देखने के लिए दूरदराज के लोगों की भीड़ उमड़ रही है. पियनिया नवयुवक संघ ने इस बार सरस्वती पूजा में आधार कार्ड पर आधारित भव्य पंडाल बनाया है. इस आधारकार्डनुमा पंडाल में मां सरस्वती का नाम, जन्मतिथि के साथ-साथ पता भी लिखा हुआ है. पंडाल देखने में काफी खूबसूरत लग रहा है.
पूजा समिति के अध्यक्ष ने बताया कि एक से बढ़कर एक पंडाल का निर्माण पहले से भी किया जाता रहा है. हम लोग हर साल कुछ अलग तरह का पंडाल तैयार कराते हैं, जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं. पूजा समिति के सदस्यों का गांव के बुजुर्ग भी काफी सहयोग करते हैं.
'सामाजिक जन जागरूकता को ध्यान में रखकर किया गया है तैयार'
समिति के अध्यक्ष आशीष कुमार ने कहा कि यह पंडाल सामाजिक जन जागरूकता को ध्यान में रखकर बनाया गया है. इसके पीछे उद्देश्य यह है कि समाज के जो सबसे पिछले पायदान पर खड़े लोग हैं, जिनका अभी आधार कार्ड से नाम नहीं जुड़ा है, उन लोगों को जागरूक करना है. लोग इस पंडाल को देखकर आधार कार्ड से जुड़ें और सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं का लाभ उठाएं.
'हर साल अलग-अलग थीम पर तैयार करते हैं पूजा के पंडाल'
सरस्वती पूजा समिति के सदस्य बिट्टू कुमार का कहना है कि वह हर साल अलग-अलग थीम पर पंडाल का निर्माण करते हैं, जिसको देखने के लिए काफी संख्या में दूरदराज से लोग आते हैं. इस बार आधार कार्ड पर आधारित पंडाल बनाया गया है, जो काफी भव्य है.
गांव के बुजुर्ग श्याम कुमार सिंह का कहना है कि पूजा पंडाल में अश्लील गाने नहीं बजने चाहिए. हमारे गांव के नवयुवक अलग तरह से पूजा अर्चना करते हैं, जिसमें किसी तरह की अश्लीलता की कोई जगह नहीं होती है. हम सभी गांव के बुजुर्ग भी बच्चों का काफी सहयोग और उत्साहवर्धन करते हैं.