शहाबुद्दीन की जमानत रद्द होगी या नहीं, शहाबुद्दीन दोबारा जेल जाएगा या नहीं इस पर सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को अपना फैसला सुनाएगा. बिहार सरकार के वकील और तेजाब कांड के पीड़ित चंदा बाबू के वकीलों की दलील के बाद गुरूवार को बारी शहाबुद्दीन के वकीलों की थी. शहाबुद्दीन के वकील शेखर नाफड़े ने कई तकनीकी पहलुओं के सहारे जमानत रद्द ना करने के लिए जोरदार पैरवी की.
उन्होंने दलील दी कि चंदा बाबू के जिस तीसरे लड़के की हत्या का आरोप उनके मुवक्किल पर है, उस हत्या के समय तो वो जेल में था. दूसरी तरफ चंदा बाबू के वकील प्रशांत भूषण ने कोर्ट से कहा कि शहाबुद्दीन जेल में था, लेकिन अपनी मर्जी से जब चाहता था, बाहर आ जाता था और ये बात तो सीवान के मजिस्ट्रेट ने भी अपनी रिपोर्ट में बताई थी.
शहाबुद्दीन के वकील ने दलील दी की उनके मुवक्किल को चार्जशीट की कॉपी तक नहीं दी गई. कोर्ट ने चार्जशीट वाले आरोप पर जब बिहार सरकार के वकील से पूछा तो बिहार सरकार के पास कोई जवाब नहीं था. जिस पर कोर्ट ने टिप्पणी की कि ये तो गंभीर बात है कि 17 महीने तक अभियुक्त को चार्जशीट की कॉपी नहीं दी गई. प्रशांत भूषण ने इस आरोप का जवाब देते हुए कहा कि शहाबुद्दीन ने कभी भी चार्जशीट की मांग नहीं की. ऐसे में ये आरोप बेबुनियाद है.
आखिर में शहाबुद्दीन ने कोर्ट से ये गुहार लगाई कि आप जो चाहें शर्ते लगा दें. आप कहें तो मैं बिहार छोड़ने को तैयार हूं, लेकिन जमानत रद्द न की जाए. कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद शुक्रवार के लिए अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.