आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने बुधवार को जनता परिवार में जीतन राम मांझी के लिए दरवाजे खुले होने का संकेत देकर जेडीयू को हिला दिया है. गौरतलब है कि जनता परिवार की पार्टियों के विलय का बेसब्री से इंतजार हो रहा है.
सासाराम में एक सार्वजनिक सभा को संबोधित करते हुए लालू ने कहा, 'जनता परिवार के विलय में मांझी के लिए भी जगह होगी, जो 14 अप्रैल को अस्तित्व में आएगा.' गौरतलब है कि लालू का बयान मंगलवार को मांझी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात के ठीक एक दिन बाद ही आया. बिहार में मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए नीतीश कुमार के साथ हुए घमासान में जेडीयू ने मांझी को पार्टी से बाहर कर दिया था.
लालू का यह बयान उस समय आया है, जब मांझी का राजनीतिक संगठन हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा बिखरा हुआ है. मोर्चा को सपोर्ट करने वाले नौ विधायक बीजेपी की ओर झुकने लगे हैं और केवल बीजेपी के साथ गठबंधन चाहते हैं.
दूसरी ओर प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद और जनता परिवार के विलय से पहले जीतनराम मांझी खुद को मजबूत स्थिति में देख रहे हैं. मांझी के राजनीतिक संगठन ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर जेडीयू के जनता परिवार में विलय की स्थिति में अपने लिए 'तीर' का निशान मांगा है. जेडीयू का चुनाव चिन्ह 'तीर' है.
मांझी कैंप के एक नेता ने कहा, 'जीतनराम आरजेडी और कांग्रेस के साथ गठबंधन चाहते थे, लेकिन जनता परिवार के विलय ने उनके विकल्प को खत्म कर दिया है.' किसी केस में 11 विधायकों (जिसमें निलंबित 8 विधायक भी शामिल है) ने इस आइडिया का विरोध किया था. उन्होंने कहा कि अब हमारे पास बीजेपी के साथ जाने या फिर अकेले लड़ने का विकल्प है.
बीजेपी ज्वाइन करने की चाहत रखने वाले एक विधायक ने कहा, 'बिहार चुनाव में मांझी बीजेपी से 20 सीटों की उम्मीद कर रहे हैं. उन्हें केवल एक चीज परेशान कर रही है और वह बीजेपी की 185 सीटों पर लड़ने की जिद. हालांकि मांझी के पास बीजेपी के साथ सौदा करने और राजनीतिक हवा को टेस्ट करने का पूरा समय है.'
दूसरी ओर एक बीजेपी नेता ने कहा, 'हमने मांझी का समर्थन किया था और उनके अपमान को उठाएंगे, लेकिन राजनीतिक गठबंधन की बात करना अभी जल्दी होगी.'
बीजेपी के राज्य प्रभारी भूपेन्द्र यादव ने कहा, 'गठबंधन पर बातचीत के लिए इंतजार किया जा सकता है.. हमने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लड़ने का फैसला किया है. बिहार या कहीं भी केवल कमल हमारा चेहरा होगा.'