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7 साल के बच्चे के सवालों का जवाब नहीं दे पाए CM नीतीश कुमार

बिहार के सीएम नीतीश कुमार की सभा में नालंदा के सात साल के कुमार राज ने राज्य की शिक्षा व्यवस्था पर वो भाषण दिया, जिसे सुन नीतीश कुमार निशब्द हो गए.

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आरा में पान की दुकान चलाते हैं कुमार राज के पिता
आरा में पान की दुकान चलाते हैं कुमार राज के पिता

हाल ही में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भरी सभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज कसते हुए कहा, 'अगर चाय वाला प्रधानमंत्री बन सकता है तो पान बेचने वाला क्यों नहीं ?' दिलचस्प है कि उनका यह बयान महज सात साल के एक बच्चे के भाषण से प्रेरित था. सीएम ने एक पान बेचने वाले के बच्चे के स्पीच से वन लाइनर तो निकाल लिया, लेकिन दुर्भाग्य ये कि उस बच्चे ने अपने भाषण में राज्य की जो बखिया उधेड़ी, उस पर एक शब्द जवाब नहीं दे पाए.

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दरअसल, शुक्रवार को पटना में आयोजित चौरसिया महासम्मेलन में नालंदा के कुमार राज को बिहार की शिक्षा व्यवस्था पर भाषण देने के लिए बुलाया गया था. राज ने अपने स्पीच में जितनी भी बातें बोलीं,  उसने ना सिर्फ सरकार बल्कि आम लोगों की कथनी और करनी की भी पोल खोल दी.

'दो तरह की शिक्षा व्यवस्था है, अमीरों के लिए अलग, गरीबों के लिए अलग'
कुमार ने अपने भाषण में सरकारी और निजी स्कूलों की व्यवस्था में फर्क बताते हुए कहा, 'दो तरह की शिक्षा व्यवस्था है, अमीरों के लिए अलग, जिनके बच्चे नामी प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने जाते हैं और गरीबों के लिए अलग जिनके बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ने जाते हैं. इससे साफ पता चलता है कि प्राइवेट स्कूलों के मुकाबले सरकारी स्कूलों में शिक्षा का घोर अभाव है. आखिर क्या कारण है कि कोई भी डॉक्टर, इंजीनियर, वकील यहां तक कि उस स्कूल के शिक्षक भी अपने बच्चे को सरकारी स्कूल में पढ़ाना नहीं चाहते? यही वजह है कि हम बच्चे हीन भावना का शिकार हो जाते हैं.'

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'पीएम बना तो सारे निजी स्कूल बंद करवा दूंगा'
कुमार राज ने कहा, 'बड़ा होकर संयोग से इस देश का प्रधानमंत्री बन गया तो सबसे पहले पूरे देश के प्राइवेट स्कूलों को बंद करवा दूंगा ताकि सभी बच्चे सरकारी स्कूलों में एक साथ पढ़े सकें. चाहे वह डॉक्टर का बच्चा हो या किसान का. चाहे वह इंजीनियर का बच्चा हो या मजदूर का. तभी इस देश में समान शिक्षा लागू होगी.'

'लोग अपने गांव के स्कूलों की निगरानी करें तो होगा बड़ा सुधार'
कुमार राज के निशाने पर केवल सरकार नहीं, आम जनता भी थी. उसने कहा, 'गांव में जब धार्मिक सम्मेलन या रैली का आयोजन होता है तो हजारों लोग वहां पहुंच जाते हैं. लेकिन कभी भी किसी ने गांव के स्कूल में झांकना जरूरी नहीं समझा.' राज ने सवाल किया, 'क्या कभी गांववालों ने विद्यालय जाकर ये देखने की जरूरत समझी कि वहां शिक्षक आता है या नहीं ? अगर शिक्षक आता है तो पढ़ाता है या नहीं? अगर पढ़ाता है, तो क्या पढ़ाता है?' कुमार राज ने सुझाव दिया कि अगर लोग अपने गांव के स्कूलों की निगरानी करें तो शिक्षा के हालात में बड़ा सुधार होगा.

'ऑर्केस्ट्रा, रासलीला का आयोजन किया, बाल महोत्सव का कभी नहीं'
कुमार राज ने लोगों पर हमला बोलते हुए कहा, 'आप लोगों ने गांव में ऑर्केस्ट्रा और रासलीला का तो आयोजन कई बार किया. लेकिन बच्चों के मानसिक विकास के लिए बाल महोत्सव का आयोजन कभी नहीं किया.'

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कुमार राज जब अपना भाषण दे रहा था तो नीतीश कुमार के पास सिवाय गर्दन झुकाकर उसे सुनने या फिर मुसकुराने के और कोई चारा नहीं था. अंत में कुमार राज को उन्होंने माला पहनाई और हर बार की तरह यहां भी बच्चे को 'हरसंभव मदद देंगे' वाला आश्वासन का टुकड़ा टपका दिया.

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