बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने भले ही किसी मुसलमान को टिकट नहीं दिया, लेकिन शाहनवाज हुसैन को राज्य की राजनीति में पार्टी ने उतारने का फैसला किया है. शाहनवाज हुसैन बिहार विधान परिषद उपचुनाव के लिए सोमवार को बीजेपी प्रत्याशी के तौर पर नामांकन दाखिल करेंगे.
एक दौर में मुस्लिम बहुल किशनगंज सीट से जीतकर शाहनवाज हुसैन ने अटल सरकार में देश में सबसे युवा कैबिनेट मिनिस्टर बनने का रिकॉर्ड बनाया था और बीजेपी के मुस्लिम चेहरा बन गए थे. अब बिहार की राजनीति में उनकी एंट्री हो रही है और माना जा रहा है कि नीतीश कैबिनेट में वह बीजेपी का मुस्लिम चेहरा होंगे.
शाहनवाज हुसैन ने बिहार पहुंचकर कहा, पार्टी उन्हें जो भी जिम्मेदारी देगी उसका वे निर्वहन करेंगे. उन्होंने कहा यह केंद्र का आदेश है. अमित शाह और जेपी नड्डा ने उन्हें ये जिम्मेदारी दी है. ऐसे में पहले मैं केंद्र में राजनीति करता था, अब मैं बिहार की राजनीति करूंगा.
सीमांचल और बंगाल चुनाव में अल्पसंख्यक वोटरों को साधने के लिए उन्हें उम्मीदवार बनाए जाने के सवाल पर शाहनवाज हुसैन ने कहा कि वे जात-पात से ऊपर उठकर राजनीति करते हैं. शाहनवाज भले ही कुछ भी कहें, लेकिन उन्हें बिहार की राजनीति में ऐसे ही नहीं लाया गया है.
शाहनवाज हुसैन बीजेपी के बड़े मुस्लिम चेहरा माने जाते हैं. दिल्ली की डीटीसी बस से चढ़कर साउथ ब्लॉक तक सफर तय करने वाले शाहनवाज ने देश में सबसे पहले युवा कैबिनेट मिनिस्टर बनने का रिकॉर्ड बनाया था. बिहार विधानसभा चुनाव में शाहनवाज बड़ी भूमिका अदा करते रहे हैं. एक दौर में बिहार के सीएम उम्मीदवार के तौर पर अक्सर उनके नाम की चर्चा होती रही है.
बिहार में हुआ जन्म
शाहनवाज हुसैन का जन्म 1968 में बिहार के एक छोटे से गांव समस्तीपुर में हुआ था. उन्होंने पटना और दिल्ली से अपनी पढ़ाई पूरी की. उनके पिता प्राइमरी स्कूल में टीचर थे. शाहनवाज का सपना बचपन से ही राजनीति में आने का था, हालांकि उनके घर में किसी का राजनीति से कोई नाता नहीं था, लेकिन बचपन का सपना पूरा करने के लिए शाहनवाज ने अपनी जान लगा दी. शाहनवाज ने रेणु से शादी कर ली, उनके दो बच्चे हैं.
राजनीतिक सफर
1997 में एक कार्यक्रम के दौरान शाहनवाज हुसैन का भाषण सुनकर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि ये लड़का बहुत अच्छा बोलता है, अगर संसद में पहुंचेगा तो अहम भूमिका निभा सकता है.1998 के लोकसभा चुनाव में जब शाहनवाज हुसैन से पूछा गया कि कहां से चुनाव लड़ोगे तो उन्होंने मजाक समझकर कहा कि जो सबसे मुश्किल सीट हो हमें दे दीजिए.
बाद में शाहनवाज को किशनगंज से आरजेडी उम्मीदवार तस्लीमुद्दीन के खिलाफ चुनाव लड़ने का मौका मिला तो हैरत में पड़ गए. शाहनवाज वो चुनाव तो हार गए, लेकिन पहले ही चुनाव में करीब ढ़ाई लाख वोट पाकर हौसला बुलंद हो गया.
1999 में जब दोबारा चुनाव हुआ तो शाहनवाज किशनगंज सीट से सांसद बने और एनडीए के सरकार में राज्यमंत्री भी बने. फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज, यूथ अफेयर, और स्पोर्ट्स जैसे विभाग उनके पास रहे. 2001 में उन्हें कोयला मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार दिया गया और सितंबर 2001 में नागरिक उड्डयन पोर्टफोलियो के साथ एक कैबिनेट मंत्री के पद पर पदोन्नत किया गया. शाहनवाज भारत के सबसे कम उम्र के कैबिनेट मिनिस्टर बनने के साथ-साथ अटल सरकार के मुस्लिम चेहरा बन गए. 2003 से 2004 तक उन्होंने कैबिनेट मिनिस्टर के रूप में कपड़ा मंत्रालय संभाला.
2004 के आम चुनाव में हार के बाद शाहनवाज 2006 में उपचुनाव में भागलपुर सीट से जीतकर दोबारा लोकसभा पहुंचे. 2009 में भागलपुर से शाहनवाज को दोबारा जीत मिली और एक बार फिर वो लोकसभा पहुंचे, लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में जब पूरे देश में मोदी की लहर थी, ऐसे वक्त पर शाहनवाज हुसैन को हार का सामना करना पड़ा और वो मात्र 4000 वोटों से चुनाव हार गए. इसके बाद 2019 में पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया, लेकिन पार्टी का साथ उन्होंने नहीं छोड़ा और अब उन्हें बिहार में पार्टी अहम जिम्मेदारी देने जा रही है.
बिहार की राजनीति में शाहनवाज की एंट्री
दरअसल, विधानसभा चुनाव में एनडीए उम्मीदवार के तौर पर कोई भी मुस्लिम जीत नहीं सका था. ऐसे में बीजेपी में किसी अल्पसंख्यक चेहरे को आगे करने की रणनीति पर मंथन चल रहा था. पहले पार्टी ने राज्यस्तरीय नेता को ही आगे लाने की योजना बनाई पर कोई ऐसा चेहरा नहीं दिखा जो बीजेपी के लिए असरदार साबित हो सके. ऐसे में बीजेपी ने शाहनवाज हुसैन को ही प्रदेश की राजनीति में उतारने का फैसला किया है.
शाहनवाज को बिहार विधान परिषद के लिए प्रत्याशी बनाना बीजेपी का कोई सामान्य फैसला नहीं है. इसे पार्टी का कोई बड़ा और दूरगामी दांव माना जा रहा है. शाहनवाज को लेकर बीजेपी की दूरगामी राजनीति तो अभी भविष्य की बात है, लेकिन फिलहाल उसने गत बिहार विधानसभा चुनाव में एक भी मुस्लिम प्रत्याशी नहीं देने के कारण मुस्लिम विरोधी होने के आरोपों को खारिज कर दिया है. साथ ही पार्टी ने बिहार में अपना बड़ा चेहरा भी दिया है, जो राष्ट्रीयस्तर पर बेबाकी से हर मंच पर बीजेपी का मजबूती से पक्ष रखता है. साथ ही शाहनवाज को विधान परिषद में भेजकर पार्टी ने अल्पसंख्यक कार्ड भी खेला है.