बिहार में महागठबंधन टूटने के बाद बागी रूख अपना चुके जदयू के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद अपनी तीन दिनों की बिहार यात्रा के बाद 17 अगस्त को दिल्ली में 'साझा विरासत बचाओ’ नाम से एक सम्मेलन कर रहे हैं. पूरे दिन के इस राजनीतिक जुटान में वो बाकि नेताओं के साथ मिलकर अपने लिए नई राजनीतिक जमीन तलाशने की कोशिश कर रहे हैं. हालांकि सम्मेलन से पहले अपने संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन संविधान की आत्मा बचाने के लिए बुलाई गई है और इसका किसी की राजनीति से कोई खास लेना-देना नहीं है. लेकिन इस सवाल का उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया कि बिहर में महागठबंधन के टूटने के बाद ही उन्हें ऐसे किसी सम्मेलन की जरूरत महसूस क्यों हुई.
राजनीति के जानकार मानते हैं कि 17 अगस्त को शरद यादव के दवारा बुलाया गया सम्मेलन उनके राजनीतिक जीवन की दशा और दिशा तय करेगा. अगर वो इस सम्मेलन में खुलकर नीतीश के खिलाफ आते हैं तो 19 अगस्त को जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारणी में उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता भी दिखाया जा सकता है. वहीं अगर वो इस मीटिंग में भी खुलकर अपनी बात नहीं रखते हैं और इशारों-इशारों में ही बात करते हैं तो उनके साथ आए दूसरी पार्टियों और नेताओं की मनोदशा पर इसका असर पड़ेगा.
बिहार में महागठबंधन टूटने के बाद से लगातार शरद के संपर्क में रहने वाले कुछ छात्र नेताओं का मानना है कि शरद यादव अब खुलकर लड़ने और संघर्ष करने के मूड में आ चुके हैं. बिहार की तीन दिवसीय यात्रा के बाद दिल्ली में 17 अगस्त को उनके दवारा बुलाई गई इस मीटिंग का यही मतलब है.
शरद यादव इस मीटिंग को लेकर यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी नेता अखिलेश यादव , कांग्रेस नेता और जम्मू-कश्मीर के गुलाम नबी आज़ाद और आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव सहित दूसरे विपक्षी नेताओं के संपर्क में हैं. जानकारों का मानना है कि 17 अगस्त की उनकी बैठक में इन सभी नेताओं के शामिल होने की भी उम्मीद है.
वहीं पटना के रहनिहार और राज्य की राजनीति की समझ रखने वाले महेंद्र सुमन का मानना है कि इस वक्त शरद यादव के पास बहुत कम विकल्प हैं. महेंद्र सुमन मानते हैं कि शरद यादव पार्टी छोड़ने जैसी गलती तो नहीं करेंगे. वो पार्टी पर अपना और अपने गुट का दावा पेश करेंगे और इस संबंध में वो 17 अगस्त की बैठक में घोषणा कर सकते हैं क्योंकि 19 अगस्त को जदयू के राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक होनी है और इस बैठक में नीतीश, शरद यादव के बारे में कोई बड़ा फैसला कर सकते हैं.
सूत्रों के हवाले से एक यह भी खबर है कि पटना में जिस दिन जदयू के राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक होनी है उसी दिन शरद यादव भी एक बड़ा सम्मेलन कर सकते हैं. अभी यह साफ नहीं है कि शरद क्या कदम उठाएंगे या नीतीश उन्हें पार्टी से बाहर करेंगे या नहीं लेकिन इतना साफ है कि जदयू में एक टूट हो.