scorecardresearch
 

फिर NDA में गई JDU, शरद यादव बोले- मुझे पार्टी से बाहर फेंक कर दिखाएं नीतीश

शरद यादव और अली अनवर का दावा है कि इस जन अदालत सम्मेलन में नीतीश कुमार के बीजेपी के साथ गठबंधन से नाराज जेडीयू के कई नेता भी शामिल होंगे. शरद यादव अब इंतजार कर रहे हैं कि नीतीश कुमार पार्टी से बगावत के बाद उन्हें कब बाहर का रास्ता दिखाते हैं.

Advertisement
X
नीतीश कुमार और शरद यादव
नीतीश कुमार और शरद यादव

Advertisement

जनता दल यूनाइटेड अब नीतीश कुमार और शरद यादव कैंप में दो फाड़ होती दिख रही है. शरद यादव जहां खुद को अब भी महागठबंधन का हिस्सा बता रहे हैं, वहीं सीएम नीतीश कुमार के आवास पर हुई पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में एनडीए में शामिल होने का प्रस्ताव पास हो गया.

इस बीच वहां सीएम आवास के बाहर एकत्र शरद यादव और आरजेडी समर्थकों ने नीतीश के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. इस दौरान सीएम आवास के बाहर नीतीश और शरद समर्थकों के बीच भिड़ंत भी हुई. हालांकि पुलिस ने बीचबचाव कर हालात काबू में कर लिया. वहीं मौजूदा हालात को देखते हुए सीएम आवास के बाहर सुरक्षा भी बढ़ा दी गई है.

वहीं कृष्ण मेमोरियल हॉल में आयोजित अपने 'जन अदालत सम्मेलन' में शरद यादव ने कहा कि महागठबंधन टूटने के बाद से ही मैं पूरे देश का दौरा कर रहे हैं. देश आज मुश्किल हालात में है. बिहार में बाढ़ के हालात बेहद खराब है. उन्होंने कहा, हजारों किसान खुदकुशी कर रहे हैं. लोगों को धर्म और लव जिहाद के नाम पर मारा जा रहा है. उना में गाय का चमड़ा निकाल रहे दलितों को पीटा गया. ये तो आज देश के हालात हो रखे हैं. 

Advertisement

इसके साथ ही उन्होंने कहा, 'देश में आज बेरोजगारी चरम पर हैं. युवाओं के पास काम नहीं है. नरेंद्र मोदी ने 2014 में 2 करोड़ नौकरियों का वादा किया था, लेकिन उस पर कुछ नहीं किया. लोकतंत्र पर अपने वादे निभाना जरूरी है.'

वहीं नीतीश कुमार पर प्रहार करते हुए शरद यादव ने कहा, 'मैंने यह पार्टी खड़ी की और अब लोग (नीतीश खेमा) कह रहा है कि ये पार्टी मेरी नहीं. बिहार में महागठबंधन तोड़ना सही नहीं था. मैंने लोगों से अपील करता हूं कि इस महागठबंधन को बनाए रखने के लिए अपने स्तर पर मेहनत करें. उन्हें (नीतीश खेमे को) मुझे और जेडीयू के दूसरे नेताओं को पार्टी से बाहर फेंक कर तो दिखाएं. मैं सांझी विरासत कार्यक्रम के जरिये राष्ट्रीय स्तर पर फिर से महागठबंधन बनाने ती कोशिश करूंगा.'

उधर पटना में नीतीश कुमार और शरद यादव की सामानांतर बैठकों के बीच वहां सड़कों पर पोस्टर वार भी देखा गया. यहां नीतीश के पोस्टरों के जवाब में शरद समर्थकों ने भी पोस्टर्स लगवाए हैं, जिसमें लिखा है, 'जन अदालत का फैसला, महागठबंधन जारी है.'

 

इस पहले पटना में अपने 'जन अदालत सम्मेलन' के लिए कृष्ण मेमोरियल हॉल पहुंचे शरद यादव ने कहा कि मैं किसी व्यक्ति के खिलाफ नहीं, बल्कि बिहार के लोगों के साथ हूं. बिहार के लोग दुखी हैं. इसके साथ ही उन्होंने सम्मेलन में शामिल नेताओं से कहा कि जो भी मंच पर बोले आए वे किसी का नाम लिए बिना ही अपनी बात रखें.

 

Advertisement

वहीं शरद यादव का खुला समर्थन कर रहे आरजेडी सुप्रीमो ने साफ किया, यह जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी नहीं, बीजेपी की है. उन्होंने कहा कि सृजन घोटाले में घिरने के चलते नीतीश कुमार और सुशील मोदी खुद को बचाने के लिए नरेंद्र मोदी के आगे नाक रगड़ रहे हैं.

दरअसल जेडीयू से बागी हुए शरद यादव को जिस तरह से 'साझी विरासत बचाओ सम्मेलन' में विपक्ष का समर्थन मिला, उससे उनके हौसले बुलंद हैं. इसी वजह से शरद ने नीतीश कुमार के आवास पर हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में शामिल न होकर पटना के कृष्ण मेमोरियल हॉल में अपनी अलग बैठक बुलाई.

हालांकि इस पर जेडीयू नेता केसी त्यागी कहते हैं, 'नीतीश कुमार को सभी 15 राज्य इकाइयों का समर्थन प्राप्त है. शरद यादव चुनाव आयोग जा रहे हैं तो जाए, पूरी पार्टी नीतीश कुमार के साथ है.' इसके साथ ही उन्होंने कहा कि शरद यादव को कांग्रेस और भ्रष्ट आरजेडी गुमराह कर रही है, वे ही समांतर बैठक के लिए उनकी मदद कर रही है.

वहीं राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक को लेकर त्यागी ने कहा है कि इस बैठक में शरद यादव पर अभी कोई फैसला नहीं होगा. अगर 27 को वो आरजेडी की रैली में लालू के साथ दिखाई देंगे फिर कार्रवाई होगी. कार्यकारिणी में 20 से ज्यादा राज्यों के प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं. कार्यकारणी में कुल 64 सदस्य हैं.

Advertisement

वहीं शरद यादव कैंप भी भरपूर समर्थन का दावा कर रहा है. शरद समर्थक अरुण श्रीवास्वत कहते है,  हम असली जनता दल है. हम दावा करने के लिए लड़ाई करेंगे. हमारे पास ज्यादा समर्थन है. बिहार से बाहर नीतीश को किसी का समर्थन नहीं है. ये वो बीजेपी नहीं है, जिससे हमने गठबंधन किया था. हम मंदिर और आर्टिकल 370  पर समझौता नहीं कर सकते. अगर लालू भ्रष्टाचारी थे, तब नीतीश ने चुनाव जीतने के लिए उनसे हाथ क्यों मिलाया?

दरअसल शरद यादव अब इंतजार कर रहे हैं कि नीतीश कुमार पार्टी से बगावत के बाद उन्हें कब बाहर का रास्ता दिखाते हैं. सूत्रों की मानें तो उसके बाद शरद यादव चुनाव आयोग में जेडीयू का असली उत्तराधिकारी होने का वैसे ही दावा पेश करेंगे, जैसे मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी पर अपने वर्चस्व को लेकर चुनाव आयोग में दावा किया था.

इसमें फर्क सिर्फ इतना है कि जब मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी पर अपने वर्चस्व का दावा किया था, तब कांग्रेस मुलायम सिंह यादव के खिलाफ और अखिलेश यादव के पक्ष में खड़ी थी और आखिर में फैसला अखिलेश यादव के पक्ष में आया था, लेकिन इस बार कांग्रेस शरद यादव के साथ और नीतीश कुमार के खिलाफ खड़ी होगी. इतना तय है कि आने वाले दिनो में कांग्रेस शरद यादव के कंधों का इस्तेमाल करके नीतीश कुमार को निशाना बनाएगी और बीजेपी के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश करेगी.

Advertisement

शरद यादव और नीतीश कुमार की जेडीयू पर वर्चस्व की लड़ाई में बीजेपी और कांग्रेस के बीच तीखी बयानबाजी देखने को मिलेगी. साथ ही चुनाव आयोग में बीजेपी और कांग्रेस के कानून के जानकारों के बीच आरोप-प्रत्यारोप की चुटीली नोकझोंक का नजारा देखने को भी मिलेगा. असल में शरद यादव के समर्थकों का कहना कि साल 1999 में नीतीश कुमार और जॉर्ज फर्नाडिस ने अपने राजनैतिक फायदे के लिए अपनी समता पार्टी का विलय शरद यादव की जेडीयू में किया था.

इसलिए शरद यादव के समर्थकों का यह भी कहना है कि शरद यादव ही जेडीयू के असली उतराधिकारी हैं. अगर किसी को जेडीयू से बाहर जाना है, तो नीतीश कुमार और उनके समर्थकों को जाना चाहिए. शरद यादव को जेडीयू से बाहर किए जाने के बाद उनकी और नीतीश कुमार की लड़ाई का अखाड़ा चुनाव आयोग ही होगा.

 

Advertisement
Advertisement