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नीतीश कुमार के खिलाफ शिवानंद तिवारी की धमाकेदार चिट्ठी

शिवानंद तिवारी ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उनका कहना है कि नीतीश बदलने से भावना से काम करते हैं और इसी वजह से उन्हें लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए कहा जा रहा है. शिवानंद की मानें तो नीतीश कुमार ने उनसे अपनी खुन्नस तो निकाली है साथ ही शाबिर अली और एनके सिंह को भी लोकसभा चुनाव लड़ने का फरमान देकर मुश्किल में डाल दिया.

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File Photo: जेडीयू नेता शिवानंद तिवारी
File Photo: जेडीयू नेता शिवानंद तिवारी

शिवानंद तिवारी ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उनका कहना है कि नीतीश बदलने से भावना से काम करते हैं और इसी वजह से उन्हें लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए कहा जा रहा है. शिवानंद की मानें तो नीतीश कुमार ने उनसे अपनी खुन्नस तो निकाली है साथ ही शाबिर अली और एनके सिंह को भी लोकसभा चुनाव लड़ने का फरमान देकर मुश्किल में डाल दिया.

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शिवानंद तिवारी ने इन बातों का जिक्र बिहार जेडीयू अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह को लिखी चिट्ठी में किया. आज तक के पास शिवानंद तिवारी की चिट्ठी की एक्सक्लूसिव कॉपी है. आप भी पढ़ें वो खत...

प्रिय बशिष्ठ भाई,
आज के अखबारों में चुनाव लड़ने के संबंध में फैसला करने के लिए मुझे अल्टीमेटम देने की खबर आपके हवाले से छपी है. इस खबर से मैं स्तम्भित हूं. लगता है कि आपकी स्मरण शक्ति पर उम्र का असर समय से पहले पड़ने लगा है.
22 जनवरी की रात नौ-साढ़े नौ बजे के लगभग आपने मुझे नीतीश कुमार का फरमान सुनाया था कि मुझे बक्सर से चुनाव लड़ना है तो अविलंब मैंने आपको बता दिया कि मैं चुनाव नहीं लडूंगा. जो व्यक्ति मुझे काटने के लिए बाकी दो निर्दोषों का भी राज्यसभा का पत्ता काट दे उसके टिकट पर चुनाव लड़ने की मूर्खता मैं कैसे कर सकता हूं?
मेरी बात अगले दिन कर्पूरी जयन्ती के दौरान साबित हो गई जब नीतीश ने अपने भाषण के दरम्यान चुनौती भरे लहजे में कहा कि जो लोग कहते हैं कि पार्टी कमजोर है, वे चुनाव लड़कर दिखायें. जिस ढंग से पार्टी चलायी जा रही है उससे पार्टी कमजोर हो रही है, ऐसा तो सिर्फ मैंने ही राजगीर के शिविर में कहा था. तो एनके सिंह और साबिर अली को राज्यसभा से काट कर चुनाव लड़ने के लिए क्यों कहा जा रहा है.
जो आदमी नफरत की हद तक मुझे नापसंद करता है, जो मुझे काटने के लिए दो निर्दोषों का निष्ठुरता के साथ वध कर सकता है उसकी ओर से चुनाव लड़ने की बात मैं कैसे सोच सकता हूं.
हद तो साबिर के मामले में हुई है. उसे तो रामविलास जी ने राज्यसभा में भेजा था. उसका तो वही टर्म समाप्त हो रहा है. दोबारा राज्यसभा में उसको भेजा जाएगा, इसी शर्त पर वह हमलोगों के साथ आया था. मेरी जानकारी के अनुसार, जो पक्की है, पिछली बार नीतीश जब दिल्ली आए थे, बिहार निवास में साबिर और एनके सिंह के सामने जब किसी ने नीतीश से पूछा कि साबिर साहब का टर्म तो समाप्त हो रहा है. अब इनका क्या होगा. तो नीतीश ने सबके सामने कहा था कि साबिर साहब दोबारा राज्यसभा जाएंगे. दिल्ली विधानसभा के चुनाव में साबिर का किस प्रकार दोहन हुआ है यह बहुतों की जानकारी में है. जिसमें थोड़ी भी आदमीयत होगी वह उसके साथ इस प्रकार का व्यवहार कैसे कर सकता है.
मैं अच्छी तरह जानता हूं कि नीतीश जिताने के लिए नहीं मुझे हराने के लिए चुनाव लड़ने को कह रहे हैं. एनडीए से जब हमलोग बाहर निकले थे उसी समय मैंने नीतीश को कहा था कि मैं चुनाव लड़ना चाहता हूं. आप लड़िए- यह कहने में उस समय क्या दिक्कत थी. चुनाव लड़ने का फैसला सुनाने के लिए श्रीकृष्ण मेमोरियल का मंच क्यों चुना गया. फैसला सुनाने का जो अंदाज और तेवर था वह चुनाव जिताने वाला था या हराने वाला? इसी लिए परसों जब दोबारा आपने पूछा तो फिर मैंने इनकार कर दिया था. फिर यह अल्टीमेटम वाली बात कहां से आ गयी. आश्चर्य है.
आपका साथी
शिवानन्द

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