बॉलीवुड अभिनेता सोनू सूद ने यूट्यूबर मनीष कश्यप का सपोर्ट करते हुए ट्वीट किया था. इस पर बिहार के वरिष्ठ IPS अधिकारी सुशील कुमार ने कड़ा एतराज जताया है. उन्होंने अपने फेसबुक पर लिखा है कि सोनू सूद जी, देश में कानून और न्याय सर्वोपरि है. देशहित के पीछे छिपकर समर्थन करने के पहले इंतजार कर लेते.
सोनू सूद पर भड़के IPS सुशील कुमार
आपका ट्वीट शक और अविश्वास पैदा करता है. पुलिस पर भरोसा बेशक मत कीजिए, देश की न्याय व्यवस्था का सम्मान कीजिए. मैं भी कहता हूं, जो होगा अच्छा ही होगा. आपकी ये बेचैनी और जल्दीबाजी आपके एजेंडे को एक्सपोज करती है. देश में मसीहा बनने की होड़ मची है. आपको भी जनता बना देगी. व्याकुल नहीं होना है. आपका एक नागरिक. देशहित में जारी.
बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने यूट्यूबर मनीष कश्यप को फिलहाल बेल देने से इनकार कर दिया है. इस मामले में अगली सुनवाई 21 अप्रैल को की जाएगी. इधर, सुप्रीम कोर्ट में बिहार सरकार और तमिलनाडु सरकार को नोटिस जारी कर जवाब देने को कहा है.
खुद को सन ऑफ बिहार लिखता है यूट्यूबर
बता दें कि मनीष कश्यप का जन्म 9 मार्च 1991 को बिहार के पश्चिम चंपारण के डुमरी महनवा गांव में हुआ. मनीष खुद को 'सन ऑफ बिहार' (Manish Kasyap, Son of Bihar) लिखता है. उसका असली नाम त्रिपुरारी कुमार तिवारी है. अपने नाम के पीछे वो 'कश्यप' लगाता है.
हालांकि, ज्यादातर जगहों पर 'मनीष' लिखता है. उसकी शुरुआती शिक्षा गांव से ही हुई. उसने साल 2009 में 12वीं पास की. इसके बाद में महारानी जानकी कुंवर महाविद्यालय से उच्च शिक्षा पूरी हुई. मनीष ने साल 2016 में पुणे की सावित्रीबाई फुले यूनिवर्सिटी से सिविल इंजीनियरिंग में BE किया. इसके दो साल बाद यूट्यूब चैनल बनाकर वीडियो बनाने लगा.
2020 में चुनाव लड़ चुका है मनीष
साल 2020 में बिहार की चनपटिया विधानसभा सीट से त्रिपुरारी उर्फ मनीष ने निर्दलीय चुनाव लड़ा था. नामांकन के समय चुनाव आयोग को दिए हलफनामे में मनीष ने बतौर प्रत्याशी अपना नाम त्रिपुरारी कुमार तिवारी बताया था. मनीष के पिता उदित कुमार तिवारी भारतीय सेना में रहे हैं.
अफवाह फैलाने का लगा है आरोप
सोशल मीडिया पर दावा किया गया था कि तमिलनाडु में रहने वाले बिहारियों के खिलाफ हमले हो रहे हैं, जिसमें दो बिहारी मजदूरों की मौत भी हो गई. सोशल मीडिया पर कई वीडियो पोस्ट किए गए. इसके बाद तमिलनाडु में रहने वाले बिहारी मजदूरों के बीच दहशत का माहौल बन गया था.
इन वीडियो को सच मानकर बिहार के मुख्यमंत्री ने हस्तक्षेप किया और मुख्य सचिव और डीजीपी को मामले की जांच का आदेश दिया. मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद 4 सदस्यीय टीम तमिलनाडु गई थी, जहां मामले की पड़ताल की गई.