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घोटाले में खुलासा: 'सृजन' पर 2003 से पहले से ही मेहरबान थे अधिकारी

दोनों पत्रों से साफ है कि भागलपुर के तत्कालीन जिलाधिकारी ने ना सिर्फ सृजन को लाभ पहुंचने की कोशिश की है बल्कि ये भी लिखा है कि पूर्व जिला पदाधिकारियों ने भी सृजन फायदा पहुंचने के लिए अपनी सहमति दी है. यानी इस घोटाले की जड़ और पीछे की तरफ जा रही है.

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भागलपुर के जिलाधिकारी की चिट्ठी
भागलपुर के जिलाधिकारी की चिट्ठी

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871 करोड़ के सृजन घोटाले में एक अहम खुलासा सामने आया है. 2003 में भागलपुर के जिलाधिकारी ने एक पत्र के जरिए जिले के प्रखंड विकास पदाधिकारियों, ग्रामीण विकास, पंचायत समिति सदस्यों एवं सरकारी गैर सरकारी संस्थान को लिखा था कि उपयुक्त विषयक के प्रसंग में कहना है कि अपने निरीक्षण के क्रम में उन्होंने देखा कि सृजन महिला विकास सहयोग समिति लि. बैंक शाका के जिला केन्द्रीय सहकारिता बैंक, भागलपुर से संबंध है जो पूर्व के जिला पदाधिकारी एवं उप विकास आयुक्त द्वारा संपुष्ट है. अत: समिति के बैंक में सभी तरह का खाता खोलकर इन्हें प्रोत्साहित किया जा सकता है. ये पत्र 18 दिसंबर 2003 जारी किया गया था.

दूसरी चिठ्ठी जिला पदाधिकारी भागलपुर ने अंचलाधिकारी सबौर भागलपुर को सृजन महिला विकास सहयोग समिति लि. को ट्राईसम भवन को 30 वर्ष लीज बंदोबस्ती देने के संबंध में है. 20 दिसंबर 2003 को लिखे पत्र में लिखा है कि उपरोक्त विषय के संबंध में कहना है कि सृजन महिला विकास सहयोग समिति को ट्राईसम भवन सबौर के आवेदन पर विचार करते हुए इन्हें 30 वर्षों के लिए 24 डी (24275) संलग्न कागजात व जांच के आधार पर 2400 रूपया प्रति वर्ष लगान भुगतान के एवज में ग्रामीण क्षेत्र में समाजिक कार्य हेतु दिया जाय एवं समिति के नाम से लीज बन्दोबस्त कर दिया जाय.

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इन दोनों पत्रों से साफ है कि भागलपुर के तत्कालीन जिलाधिकारी ने ना सिर्फ सृजन को लाभ पहुंचने की कोशिश की है बल्कि ये भी लिखा है कि पूर्व जिला पदाधिकारियों ने भी सृजन फायदा पहुंचने के लिए अपनी सहमति दी है. यानी इस घोटाले की जड़ और पीछे की तरफ जा रही है.

 

बिहार के डीजीपी पी के ठाकुर ने इसी पत्र के बारे में बताया कि ये पत्र सुपौल में एक आरोपी के घर उस समय बरामद किए गए जब एसआईटी ने छापे मारे.

 

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