हजार करोड़ से भी ज्यादा के सृजन घोटाले को लेकर पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने एक बार फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला बोला है. तेजस्वी ने आरोप लगाया है कि सृजन घोटाला सामने आने के बावजूद अब तक बिहार सरकार इस घोटाले के मुख्य आरोपियों तक नहीं पहुंच पाई है.
तेजस्वी ने कहा कि बात-बात पर झूठी अंतरात्मा और नैतिकता का ढोल बजाने वाले माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी, देश की जनता को यह जवाब क्यों नहीं देते कि डेढ़ महीने से उनकी सरकार सृजन घोटाले के प्रमुख अभियुक्त अमित कुमार, उसकी पत्नी प्रिया रंजन और भाजपा नेता बिपिन शर्मा को गिरफ्तार क्यों नहीं कर पा रही है? क्या उन्हें सरकारी संरक्षण में कहीं छुपा दिया गया है या विदेश भगा दिया गया है?
तेजस्वी ने कहा कि अब तो केंद्र और राज्य दोनों में आपकी ही सरकार है, अब किस कारणवश, किस विवशता से सरकारी कोताही इन अभियुक्तों पर पूरे सामर्थ्य से स्नेहपूर्वक बरसाई जा रही है? क्या यही है आपका वास्तविक सुशासन? यह सर्वविदीत है कि इन अभियुक्तों के मुंह खोलते ही बीजेपी-जेडीयू के शीर्षस्थ नेताओं की राजनीतिक दोहरेपन की पोटली और सम्भवतः राजनीतिक जीवन ही सदा के लिए समाप्त हो जाएगा. क्या सृजन अभियुक्तों को इस बीच 'सीमा' में रहकर मुंह खोलने के ढोंग का प्रशिक्षण दिया जा रहा है?
तेजस्वी ने कहा कि 2008 में ही सृजन महाघोटाले को सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में उजागर किया. 2013 में रिज़र्व बैंक तक ने नोटिस भेजा लेकिन सुशासन के दावाकर्ता जांच के हर प्रयास पर पानी फेरते रहे. जयश्री ठाकुर के मामले में सृजन घोटाला सरकार के संज्ञान में आया. गृह विभाग मुख्यमंत्री के पास था लेकिन फिर भी मनोरमा देवी और सृजन एनजीओ पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. पूरे एक दशक आदरणीय मुख्यमंत्री जी धृतराष्ट्र का रोल प्ले करते हुए अपने प्रिय दुर्योधन-सृजन को बचाते रहे. चार बार जांच के लिए गुहार लगाई गई लेकिन आप जानबूझकर सोते रहे. जब पानी सिर से ऊपर चला गया और सृजन के पोषित पापी आपस में ही पैसे की बन्दरबांट को लेकर लड़ने लगे तो ना चाहते हुए भी घोटाले के असीम आकार को देखते हुए नियमानुसार जांच के आदेश देने पड़े.
तेजस्वी ने कहा कि नीतीश ने हमेशा की भांति इस बार भी अपनी विवशता के बावजूद इस मजबूरी में भी नैतिकता का स्वांग रचा. मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि उन्होंने घोटाला उजागर किया. तेजस्वी ने कहा कि अगर नीतीश 10 साल से क्यों गहरी नींद में सो रहे थे. नीतीश कुमार को पब्लिक डोमेन में अपनी संलिप्तता का बिंदुवार जवाब देना होगा.