कोरोना वायरस की महामारी के बीच सुपौल के त्रिवेणीगंज अनुमंडल के कोरोना अस्पताल में लापरवाही का बड़ा मामला सामने आया है. परिजनों ने एक कोरोना संक्रमित की मौत के बाद अस्पताल के लोगों ने अपनी गलती छिपाने के लिए उसे ऑक्सीजन सिलेंडर लगा दिया. मामला रविवार दोपहर का है जब गंभीर हालत में 40 साल के विजेंद्र सरदार को कोरोना अस्पताल में भर्ती कराया गया. अस्पताल में भर्ती करने के बाद उसे ऑक्सीजन लगाया गया.
बताया जाता है कि मरीज की हालत बिगड़ती देखकर डॉक्टरों ने उसे सुपौल जिला मुख्यालय के सदर अस्पताल रेफर कर दिया. मरीज के परिजनों का आरोप है कि विजेंद्र सरदार को सुपौल रेफर करने के बाद डॉक्टरों ने उसका ऑक्सीजन निकाल दिया और उसे जाने के लिए कहा. परिजनों का कहना है कि उन लोगों ने डॉक्टरों से अनुरोध किया कि मरीज की हालत खराब हो रही है और उसे ऑक्सीजन सिलेंडर लगे रहने दिया जाए. एक एम्बुलेंस की भी व्यवस्था करा दी जाए.
परिजनों ने आरोप लगाया है कि डॉक्टरों ने उनकी गुहार नहीं सुनी और ऑक्सीजन सिलेंडर निकाल दिया और मरीज को ले जाने के लिए कह दिया. परिजनों ने कहा कि अस्पताल में एम्बुलेंस भी मौजूद नहीं था जिसकी वजह से उन लोगों को और ज्यादा परेशानी हो रही थी. मरीज की हालत लगातार बिगड़ती जा रही थी. परिजनों ने कहा कि इसी दौरान सड़क पर तड़प-तड़प कर मरीज की मौत हो गई.
मृतक के परिजन अर्जुन सरदार ने कहा कि मरीज को अस्पताल से बाहर कर दिया और हम 4 घंटे तक एम्बुलेंस तलाश करते रहे. हम डीएम साहब को भी फोन किए और एम्बुलेंस की मांग की लेकिन किसी ने भी नहीं सुनी और मेरा मरीज मर गया. सुपौल रेफर कर देने के बाद अस्पताल के लोगों ने उसे सीढ़ी पर छोड़ दिया था. हमने कहा कि जब तक एम्बुलेंस नहीं मिल जाता है तब तक मरीज को ऑक्सीजन लगाकर रखिए. मरने के बाद मेरे मरीज को ऑक्सीजन लगाया गया.
हेल्थ मैनेजर, नर्स ने नकारी लापरवाही की बात
अस्पताल के हेल्थ मैनेजर और नर्स ने लापरवाही की बात से इनकार किया और कहा कि मरीज के परिजन जबरदस्ती उसका ऑक्सीजन निकालकर उसको सुपौल ले जा रहे थे. नर्स नीलम कुमारी ने कहा कि मरीज के परिजन जबरदस्ती उसका ऑक्सीजन निकाल कर उसे अस्पताल के बाहर ले आए और फिर हम ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर बाहर आए और मरीज को लगाया.
वहीं, इसी घटना को लेकर अस्पताल के हेल्थ मैनेजर इश्तियाक अहमद का बयान नर्स नीलम कुमारी से अलग है. हेल्थ मैनेजर ने दावा किया कि मरीज को जब अस्पताल के बाहर लाया गया था तो उसको ऑक्सीजन लगा हुआ था. उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन लगा हुआ मरीज एम्बुलेंस के लिए अस्पताल के बाहर आया है. हमारे यहां जो एम्बुलेंस होता है, उसमें ऑक्सीजन सिलेंडर नहीं होता है. इश्तियाक ने कहा कि जिस मरीज को रेफर किया जाता है उसको ऑक्सीजन लगा रहता है. एम्बुलेंस में बैठने से पहले मरीज की मौत हो गई.
वीडियो में तड़पता नजर आ रहा विजेंद्र
हालांकि, इस पूरे मामले को लेकर आज तक को एक वीडियो हाथ लगा है जिसमें साफ तौर पर दिख रहा है कि मरीज विजेंद्र सरदार सड़क पर तड़प रहा था. इसी दौरान एक नर्स अस्पताल के अंदर से ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर उसे लगाने के लिए बाहर आ रही है. सवाल ये उठता है कि जिस वक्त नर्स ऑक्सीजन सिलेंडर अस्पताल से बाहर लेकर आ रही है तो क्या परिजनों के मुताबिक उसकी मौत हो चुकी थी? इस पूरे मामले को लेकर जिला प्रशासन जांच कर रहा है.
वहीं आजतक पर खबर दिखाए जाने के बाद त्रिवेणीगंज में मृतक को ऑक्सीजन सिलेंडर लगाने के मामले में सुपौल प्रशासन हरकत में आया. सिविल सर्जन (प्रभारी) डॉ इंद्रजीत प्रसाद ने मामले की जांच के आदेश दिए. सिविल सर्जन ने कहा कि दोषी पाए जाने पर अस्पताल कर्मियों के खिलाफ होगी कार्यवाही.