उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने बिहार में जारी शराबबंदी के फायदे गिनाए और कहा कि इसके लागू होने के बाद न सिर्फ हत्या के मामले में कमी आई है, बल्कि लिवर और दिल संबंधी बीमारियों में गिरावट आई है.
बिहार में शराबबंदी के 2 साल पूरे हो गए है. खास बात यह है कि 2 साल पहले जब शराबबंदी लागू की गई तब आरजेडी सत्ता में थी अब बीजेपी सत्ता में है.
इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने ट्वीट कर कहा है कि न कोई धर्म शराबखोरी को जायज मानता है, न चिकित्सक इसकी सलाह देते हैं और न कोई अभिभावक बच्चों को शराब की आदत डालना चाहता है, लेकिन बिहार का प्रमुख विपक्षी दल शराबबंदी लागू करने के राज्य सरकार के निर्णय के खिलाफ लगातार दुष्प्रचार कर रहा है.
उन्होंने राज्य में विपक्षी दलों पर आरोप लगाया कि मनगढ़ंत आंकड़े देकर शराबबंदी को कमजोर और शराब माफिया को ताकतवर बनाया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि बीजेपी ने विपक्ष में रहने के बावजूद पूर्ण शराबबंदी का समर्थन किया था और इस मुद्दे पर 21 जनवरी 2017 में बनी मानव श्रृंखला में पार्टी शामिल हुई थी. दो साल बाद इसके ये सुखद परिणाम सबके सामने हैं कि राज्य में हत्या की घटनाएं 3,178 से 2,803 और डकैती की घटनाएं 426 से घटकर 325 हो गई. शराबबंदी से लोगों के जीवन में खुशहाली आई और लिवर तथा दिल संबंधी बीमारियों में 25 फीसद तक कमी आई. नकारात्मकता से भरा फर्जी रिपोर्ट कार्ड जारी करने वालों को खुशी के ये आंकड़े दिखाई नहीं पड़े.
भाजपा ने विपक्ष में रहने के बावजूद पूर्ण शऱाबबंदी का समर्थन किया था और इस मुद्दे पर 21 जनवरी 2017 में बनी मानव श्रृंखला में पार्टी शामिल हुई थी। दो साल बाद इसके ये सुखद परिणाम सबके सामने हैं कि राज्य में हत्या की घटनाएं 3,178 से 2,803 और डकैती की घटनाएं 426 से घटकर 325 हो गई... pic.twitter.com/iWaYsttJTr
— Sushil Kumar Modi (@SushilModi) April 5, 2018
सुशील मोदी ने कहा कि शराबबंदी से महिलाओं ने सबसे बड़ी राहत महसूस की. एक तरफ स्कूल-कालेज और दफ्तर जाने वाली महिलाओं से छेड़खानी की घटनाएं कम हुईं, तो दूसरी तरफ घरेलू हिंसा और कलह पर लगाम लगी. राज्य के 25 जिलों में अवसाद (डिप्रेशन) के मामले 95 फीसद तक घट गए.
विपक्ष पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि विपक्ष शराबबंदी का विरोध कर क्या महिलाओं की जिंदगी में लालटेन युग लाना चाहता है?