चारा घोटाले के प्रमुख याचिकाकर्ता और बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता चारा घोटाले के पैसे खाने के आरोप से बाल बाल बच गए. इसका खुलासा होता है बेउर जेल से लिखे एक आरोपी के पत्र से जिसमें कहा गया है कि चारा घोटाले के किंगपिंग एसबी सिन्हा इस मामले के आरोपी केएम प्रसाद पर दबाव डाल रहे थे कि वो अपने बयान में कहे कि सुशील कुमार मोदी को 5 लाख रुपये दिए थे.
29 जुलाई 1996 को पटना के बेउर जेल से सीबीआई के पटना एसपी को लिखे पत्र में लिखा गया कि जेल के अंदर जबरदस्त साजिश चल रही है, उनको फंसाने के लिए जो इस मामले में याचिकाकर्ता हैं. चारा घोटाले के प्रमुख याचिकाकर्ता में बीजेपी के नेता सुशील कुमार मोदी का नाम कोई कैसे भूल सकता है. चारा घोटाले को उजागर करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है, इसलिए वो घोटालेबाजों के निशाने पर थे.
सीबीआई को लिखे पत्र में कहा गया है कि चारा घोटाले के किंगपिंग एसबी सिन्हा ने इसलिए सुशील कुमार मोदी को फंसाने की साजिश रची थी ताकि उनकी बोलती बंद हो जाये. ये पत्र लिखने वाला कोई और नहीं बल्कि इस घोटाले का सूत्रधार उमेश प्रसाद सिंह है.
उन्होंने सीबीआई के एसपी को पत्र लिखा और इस साजिश से अवगत कराया था. 28 जुलाई को वो बेउर के अस्पताल में जब बीमार पड़े केएम प्रसाद को देखने पहुंचे तब उन्होंने ये बात उन्हें बताई और कहा कि मैंने मोदी को केवल अखबारों और टीवी देखा है, कभी मैं उनसे मिला नहीं और न कभी रुपया दिया, तो फिर कैसे उन्हें फंसा दूं. मां भगवती कभी माफ नहीं करेंगी.
उमेश प्रसाद उस समय चारा घोटाले के मामले में ही पटना के बेउर जेल में बंद थे. उनका कहना है कि जांच की दिशा बदलने के लिए तमाम तरह की साजिश रची जा रही थी, जिसमें एक साजिश ये भी थी. ठीक उसी तरह चारा घोटाले का पैसा लेने का आरोप बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर लगता रहा है. इस संबंध में एक याचिका झारखंड हाईकोर्ट में दायर है जिस पर 22 नवंबर को सुनवाई होने वाली है. इसको लेकर बिहार की राजनीति में तमाम तरह के आरोप प्रत्यारोप का दौर चल रहा है.
कभी नीतीश कुमार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाले उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी अब सीबीआई पर आरोप लगा रहे हैं कि नीतीश कुमार और शिवानंद तिवारी को जानबूझ कर छोड़ा गया. मजे की बात ये है कि सीबीआई ने 1996 में इन्हें आरोपी नहीं बनाया लेकिन परिस्थिति अब कि बताई जा रही है, वो भी ये कि कांग्रेस जेडीयू से गठबंधन के लिए सीबीआई का इस्तेमाल कर रही है.
खैर ये तो सोच की बात है, अब आते हैं मुद्दे पर. नीतीश कुमार और शिवानंद तिवारी पर आरोप लगाने का मुख्य आधार चारा घोटाले के किंगपिंग रहे एसबी सिन्हा का 161 के तहत रांची में दिए गए बयान को बनाया गया है, जिसमें उसने कहा था कि नीतीश कुमार के समता पार्टी को चुनाव में खर्च के लिए 1 करोड़ रुपये 1994 में दिए थे. साथ ही शिवानंद तिवारी को उसी साल बेटी की शादी के लिए 30 से 40 लाख रुपये दिए थे और ये रुपये उमेश प्रसाद सिंह ने अपने हाथों से दिए थे.
उमेश प्रसाद सिंह ने कहा कि मैंने कोई पैसा नहीं दिया है और ये बयान एसबी सिन्हा ने केवल रांची में सीबीआई के एसपी एनसी ढोढियाल और डीएसपी श्रवण कुमार के सामने ही क्यों दिए, जबकि एसबी सिन्हा ने उसके बाद करीब 7 जगहों पर बयान दिया, लेकिन इसका जिक्र नहीं किया. उमेश प्रसाद सिंह के बारे में कहा जाये तो चारा घोटाला के प्रमुख सूत्रधार रहें है. इन्हे इस घोटाले की एक-एक बात मालूम है. ये निगरानी विभाग में सेक्शन ऑफिसर थे लेकिन ये घोटाले में एक बड़ी कड़ी हैं. इन्होंने इसे उजागर करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हांलाकि इस वजह से इन्हें जेल भी जाना पड़ा, लेकिन सीबीआई ने बाद में इन्हे बरी कर दिया.