आरजेडी नेता तेजस्वी यादव पिछले कुछ दिनों से न्याय यात्रा पर निकले हुए हैं और इस दौरान वह दलित, महादलित और अति पिछड़ा समाज को आरजेडी की ओर आकर्षित करने में लगे हुए हैं. इस क्रम में कई बार तेजस्वी यादव ने दलित और महादलित परिवारों के यहां खाना भी खाया है और चाय भी पी है.
इसी को लेकर उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि आज के दिन अति पिछड़ा समाज पूरी तरीके से एनडीए के साथ खड़ा है. मोदी ने अति पिछड़ा समाज के लोगों से अपील की कि 2014 की तरह एक बार फिर 2019 में भी वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वोट दें और देश के विकास करने का मौका दें. मोदी ने यह बातें भाजपा पिछड़ा वर्ग मोर्चा की ओर से आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहीं.
सुशील मोदी ने कहा कि केंद्रीय सेवाओं में आरक्षण के लिए पिछड़े वर्गों की सूची के वर्गीकरण के लिए केंद्र की सरकार ने आयोग का गठन किया है. मोदी ने कहा कि कांग्रेस को आरजेडी की ओर से बाधा उत्पन्न करने के बावजूद राज्यसभा में बहुमत मिलने पर केंद्र सरकार पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देगी.
डिप्टी सीएम मोदी ने याद दिलाया कि बिहार में मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर की सरकार के दौरान सरकारी नौकरियों में पिछड़ों आरक्षण दिया गया था. उन्होंने कहा कि बिहार में जब 2005 में एनडीए की सरकार बनी तब जाकर स्थानीय निकाय के चुनाव में अति पिछड़ों को 20 फीसद आरक्षण दिया गया जबकि राजद-कांग्रेस ने तो 2002 में आरक्षण का प्रावधान किए बिना पंचायत का चुनाव करा दिया था.
सुशील मोदी ने आरोप लगाया कि देश में लगातार 40 वर्षों तक शासन करने के बावजूद कांग्रेस या फिर बिहार में 15 साल तक शासन करने वाली आरजेडी ने कभी पिछड़ों की चिंता नहीं की. उन्होंने कहा कि पिछड़ों के उत्थान के लिए काका कालेलकर कमेटी की रिपोर्ट 1953 में आ गई थी लेकिन कांग्रेस ने उसे तक लागू नहीं किया.
बिहार के डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने कहा कि भाजपा के सहयोग से 1977 में बनी मोरारजी देसाई की सरकार ने मंडल कमीशन का गठन किया था लेकिन 10 वर्षों तक कांग्रेस उस रिपोर्ट को लागू नहीं कर पाई थी. लेकिन 1989 में वीपी सिंह सरकार जिसमें भाजपा भी शामिल थी, मंडल कमीशन की रिपोर्ट लागू करने के बाद पिछड़े वर्गों को केवल सरकारी नौकरियों में ही नहीं बल्कि विभिन्न शिक्षण संस्थानों में भी नामांकन का मौका भी दिया. मोदी ने बताया कि राज्य सरकार कक्षा 10 तक के अति पिछड़ा वर्ग के छात्रों को 600 रूपये से 1800 रूपये तक प्रति वर्ष वजीफा दे रही है.