बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी पर सृजन घोटाले में शामिल होने का आरजेडी लगातार आरोप लगा रही है और उसी आधार पर उनसे इस्तीफे की मांग भी कर रही है. सुशील कुमार मोदी ने इस पूरे मामले पर अपनी सफाई दी और कहा कि सरकार हर तरह के जांच के लिए तैयार है. इस मामले में जो भी दोषी हैं उन्हें छोड़ा नहीं जाएगा. बीजेपी, जनता दल यू, आरजेडी और कांग्रेस से सम्बद्ध किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा. उन्होंने कहा कि इस घोटाले की तुलना चारा घोटाले से नहीं हो सकती. चारा घोटला शुद्ध रूप से सरकार की जानकारी में हुई लूट का मामला है.
मोदी ने कहा कि विपक्ष ने इस मामले में सीबीआई जांच की मांग की. मुख्यमंत्री ने सीबीआई जांच के आदेश दिए. वे लालू प्रसाद की मांग पर कहते हैं कि वे पहले भी ऐसा कह चुके हैं कि लालू संतुष्ट नहीं होंगे. सीबीआई द्वारा जांच के आदेश पर लालू यूनाइटेड नेशन से जांच कराने की बात कहने लगेंगे. ऐसे में लालू जी की मांग का कोई अंत नहीं है. वे कहते हैं कि पिछले 18 महीनों से तो राजद के अब्दुलबारी सिद्दिकी भी वित्त मंत्री थे. तेजप्रताप के भी विभाग से 40 लाख रुपया निकाला गया है. वह इसकी शुरुआत साल 2003 में राबड़ी देवी के मुख्यमंत्रित्व में होने की बात कहते हैं. साथ ही कहते हैं कि इसका मतलब ये नहीं है कि राबड़ी देवी, अब्दुल बारी सिद्दिकी या तेज प्रताप सृजन घोटाले के अभियुक्त हैं
उन्होंने लालू यादव द्वारा पहली बार सीबीआई पर भरोसा करने की बात का जिक्र किया. इसके पहले वे सीबीआई को गाली दिया करते थे, लेकिन उनके जांच के आदेश के पहले वो बार बार सीबीआई जांच की मांग करते थे. कम से कम उनकी बेनामी संपत्ति की सीबीआई और ईडी जाँच कर रहे हैं. ऐसे में वे आरोप नहीं लगा सकेंगे कि उनके साथ भेदभाव किया जा रहा है और केंद्रीय एजेंसी पिक एंड चूज कर रही है. वे भरोसे से ही तो सीबीआई जांच की मांग की है. अब वे कह रहे है हाई कोर्ट मॉनिटरिंग करे. ऐसे में कोर्ट जाने पर वे उनका स्वागत करेंगे. सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट जाने के लिए स्वतंत्र हैं. वे कोर्ट के आदेश पर भरपूर सहयोग की बात कहते हैं.
उन्होंने कहा कि दोषी चाहे किसी भी पार्टी के हों वे बख्शे नहीं जाएंगे. केवल किसी के रिश्तेदार हो जाने से कोई दोषी नहीं हो जाता. ऐसे में अगर कोई उस वक्त वित्त मंत्री था तो कैसे दोषी हो जाएगा? क्या लालू प्रसाद के पाप ऐसे कोई प्रमाण हैं? वे तो लालू की संपत्ति के मामले को पब्लिक डोमेल में ले आए हैं. लालू के पास अगर कोई दस्तावेज है तो वे दिखाएं. अगर फोटो के आधार पर सजा होने लगी तो लालू प्रसाद को सौ साल की सजा होगी. शहाबुद्दीन से लेकर कोई ऐसा घोटालेबाज नहीं होगा जिसकी फोटो लालू के साथ न हो. ऐसें में अगर फोटो देखकर कोर्ट सजा देने लगे तो लालू यादव पूरी जिंदगी जेल में ही रह जायेंगे.
सृजन घोटाले और चारा घोटाले की तुलना
सुशील मोदी कहते हैं कि चाराघोटाला सीएजी की रिपोर्ट में सबसे पहले आया. जबकि सृजन घोटला के बारे में नीतीश कुमार ने जनता को बताया. चारा घोटाला पशुपाल विभाग के बजट से कई गुणा खर्च का मामला था उदाहरण के तौर पर विभाग का बजट 50 करोड़ था तो खर्च 100 करोड़ दिखाया गया. सृजन घोटाले में सरकार के द्वारा विभाग को आबंटित राशि को निजी खाते में डाल कर उससे लाभ कमाने का मामला है. जिस समय चाराघोटाला हुआ उस समय लालू यादव मुख्यमंत्री के साथ साथ बिहार के वित्त मंत्री भी थे. लालू प्रसाद यादव चाराघोटाले की निगरानी की जांच कराना चाहते थे लेकिन सीबीआई जांच की मांग को सुन नहीं रहे थे. वहीं नीतीश कुमार ने इस मामले में एक झटके से घोटाले की जांच सीबीआई को सौंप दी.
चारा घोटाले की सीबीआई जांच पटना हाईकोर्ट के आदेश पर उसी के निगरानी में हुआ. चारा घोटाले के किंगपिंग श्याम बिहारी सिन्हा को लालू प्रसाद यादव ने एक्सटेंशन दिया. उनकी बेटियों के रांची की बिशप स्कॉर्ट स्कूल में पढ़ने के दौरान श्याम बिहारी सिन्हा लोकल गार्जियन थे. श्याम बिहारी सिन्हा ने लालू के परिवार की यात्रा के लिए ढेरों हवाई टिकट कटवाए.
सुशील कुमार मोदी ने कहा कि विपक्ष जिस तरीके की जांच करना चाहती है उसके लिए सरकार तैयार है. अगर कोर्ट की निगरानी में जांच होनी चाहिए तो इसके लिए लालू प्रसाद यादव को कोर्ट जाना पड़ेगा. चारा घोटाले से जुड़े लोग रांची के अंदर उनके बेटे बेटियों के गार्जियन थे. उनके प्लेन के टिकट का इंतजाम करते थे. उनके पास यदि ऐसे कोई प्रमाण हों तो प्रस्तुत करें. वे तो अब 15 हजार करोड़ तक पहुंच गए हैं. जो खुद बेनामी संपत्ति मामले में आरोपी हो और दूसरे मामलों में सजा काट चुका हो. वह दूसरों पर आरोप लगा रहा है. वे कहते हैं कि इसी सृजन घोटाले से जुड़े मामले पर सदानंद बाबू और अजित शर्मा चार लोगो का ध्यान आर्कषण है. सरकार हर तरह का उत्तर देने को तैयार है. वे हर तरह की बहस के लिए तैयार हैं. अगर हिम्मत है तो आएं बहस करें. वे एक एक प्रश्न का उत्तर देंगे,
वे सारे चीजों की जांच की बात कहते हैं कि उस समय कौन डीएम था और उनके समय में कौन डीएम था. प्रमाण पाये जाने पर किसी को छोड़ा नहीं जायेगा. यह सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के मुद्दे पर ही बनी है. ऐसे में सरकार भ्रष्टाचार के मुद्दे पर समझौता नहीं करेगी. किसी भी संगे संबंधी या पार्टी से जुड़े शख्स को बक्शा नहीं जाएगा.