बीजेपी ने बिहार सरकार द्वारा शराबबंदी कानून में संशोधन के लिए जनता से सुझाव मांगने को नाटक करार दिया है. सरकार ने बिहार में शराबंदी कानून में संशोधन के लिए अखबारों में विज्ञापन देकर लोगों से सुझाव मांगा है. बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी का आरोप है कि सरकार आम जनता से सुझाव मांगने का नाटक कर रही है.
उनका कहना है कि कानून बनाने से पहले सरकार जनता से राय लेती थी, लेकिन पहली बार शराबबंदी कानून बनाने व लागू करने के 6 महीने बाद सरकार जनता से राय मांग रही है। मुख्यमंत्री बतायें कि पिछले छह महीने में जो सैकड़ों सुझाव आ चुके हैं क्या शराबबंदी कानून में संशोधन के लिए वे पर्याप्त नहीं है कि सरकार विज्ञापन निकाल कर जनता से सुझाव मांगने का नाटक कर रही है?
शराबबंदी की विफलता पर उठाए सवाल
सुशील कुमार मोदी का कहना है कि बीजेपी तो पहले दिन से ही विधान मंडल के दोनों सदनों में घर के सभी वयस्क सदस्यों को जेल भेजने, सार्वजनिक जुर्माना लगाने और परिसर को जब्त करने जैसे कठोर तालिबानी प्रावधानों का विरोध करती रही है. उन्होंने सरकार से सवाल करते हुए कहा कि आखिर शराबबंदी कानून के तहत 18 हजार से अधिक लोगों को जेल में डालने व 3 लाख लीटर से ज्यादा शराब की जब्ती के बावजूद सरकार पूर्ण शराबबंदी लागू करने में विफल क्यों रही है.
6 महीने में ही झुक गए नीतीश
मोदी ने बयान जारी कर कहा कि पटना हाईकोर्ट ने शराबबंदी कानून पर कठोर टिप्पणी करते हुए कहा कि बिहार पुलिस राज्य में बदल जाएगी और होमियोपैथिक दवा में अल्कोहल के प्रयोग तथा ओद्योगिक स्पिरिट के इस्तेमाल पर लगी रोक को पूरी तरह से खारिज कर दिया. परिणामतः मुख्यमंत्री को छह महीना के भीतर ही झुकना पड़ा है, जो विपक्ष की नैतिक जीत है.
कानून को निरस्त करने के डर से मांगे सुझाव
सुशील कुमार मोदी ने कहा कि बीजेपी शुरुआत से ही शराबबंदी के समर्थन में रही है और बिहार विधान मंडल के दोनों सदनों में शराबबंदी कानून के तालिबानी प्रावधानों के संशोधन के लिए जो सुझाव दिए थे तब उसे अपने घमंड व अहंकार में मुख्यमंत्री ने नाकार दिया था, मगर अब सुप्रीम कोर्ट कहीं उसे निरस्त न कर दे, इस डर से उन्हें संशोधन के लिए मजबूर होना पड़ा है. शराबबंदी कानून में संशोधन के लिए सरकार अविलम्ब सर्वदलीय बैठक बुलाए और इस पर आमसहमति बनाएं.