तीस साल बाद स्वामी अग्निवेश ने घर वापसी की है. वो जनता दल युनाइटेड में शामिल हो गए हैं. कहते हैं कि स्वामी, नीतीश की शराबबंदी की नीति के कायल हुए और घर वापसी का फैसला किया.
स्वामी ने ये भी कहा कि 'जब लोग बूढ़े होते हैं तो राजनीति से संन्यास लेते हैं लेकिन मैं संन्यास से राजनीति की ओर आया हूं. वो भी दोबारा.' जेडीयू के मुख्यालय में बिहार जेडीयू के अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने उनके पार्टी में शामिल होने का ऐलान किया.
'गुलदस्ते नहीं स्वीकार'
सिंह ने स्वामी को गुलदस्ता दिया तो स्वामी ने उसे परे हटा दिया ये कहते हुए कि वो फूल स्वीकार नहीं करते. उन्होंने कहा, 'इसे हटाइये.' फिर भी वशिष्ठ नारायण सिंह ने उनके सामने गुलदस्ता रख दिया तो स्वामी ने ये कह कर सबको चुप करा दिया कि वो तो पेड़-पौधों से फूल तोड़ने के खिलाफ हैं. कभी माला या गुलदस्ते नहीं स्वीकार करते.
बिहार सरकार की तारीफ
स्वामी अग्निवेश ने अपनी घर वापसी का ऐलान करते हुए ये साफ किया कि वो किसानों और बंधुआ मजदूरों के हितों की बात करने के साथ ही इस राजनीतिक दल के साथ फिर से शराबबंदी को राष्ट्रव्यापी आंदोलन की तरह चलाएंगे. बिहार की कानून व्यवस्था पर सीधे तौर पर उन्होंने ना तो संतोष जताया और ना ही नाराजगी. हां वशिष्ठ नारायण सिंह और स्वामी अग्निवेश दोनों ये जरूर बोले कि 'ये समस्या तो दिल्ली और अन्य राज्यों में भी है तो सिर्फ उंगली बिहार की ओर ही क्यों उठती है. जबकि बिहार में वहां की सरकार और प्रशासन ज्यादा तत्परता के साथ अपराध होने पर कार्रवाई करती है.'
यूपी चुनाव में नया मोर्चा लाने की तैयारी
फिलहाल, जेडीयू नया मोर्चा बनाने की जुगत में हैं. लिहाजा कोई ताज्जुब नहीं कि पार्टी में यूपी से ही सही एक और स्वामी शामिल हो जाए. जेडीयू की कोशिश है कि यूपी चुनाव में कुछ दलों को मिलाकर एक मोर्चा बनाया जाए और उस गठबंधन के जरिये बिहार की कामयाबी को यूपी में भी दोहराया जाए. इसी सिलसिले में नीतीश लगातार यूपी के दौरे भी कर रहे हैं और देश के अलग अलग सूबों के क्षेत्रीय दलों के नेताओं से भी मुलाकात कर रहे हैं.