आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव और उनके परिवार पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर बिहार की सत्ताधारी महागठंबधन में चल रही खींचतान के बीच नीतीश कुमार ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया. इस मामले में यादव परिवार के खिलाफ सीबीआई और ईडी ने मामला दर्ज करते हुए कई जगह छापे भी मारे थे और कथित भ्रष्टाचार को जेडीयू खेमे की तरफ से तेजस्वी यादव पर इस्तीफे का दबाव बनाया जा रहा था. हालांकि तेजस्वी खुद पर लगे इन तमाम आरोपों को झूठा करार देते हुए इसे पीएम मोदी और अमित शाह की साजिश करार देते रहे हैं. तेजस्वी का कहना था कि बीजेपी 28 साल के एक युवा से डर गई है, इसलिए उन्हें फंसाने की साजिश हो रही है.
ऐसे में आइए जानते हैं तेजस्वी पर आखिर क्या आरोप हैं, जो महागठबंधन के खात्मे का कारण बना-
रेलवे टेंडर से जुड़े आरोप-
सीबीआई के 27 अधिकारियों की टीम ने पिछले हफ्ते लालू यादव के 12 ठिकानों पर छापेमारी की और राबड़ी देवी तथा उनके छोटे बेटे तेजस्वी यादव से घंटों पूछताछ की. सूत्रों के अनुसार तेजस्वी से पटना मॉल में हिस्सेदारी से संबंधित सवाल पूछे गए. सीबीआई के अतिरिक्त निदेशक राकेश अस्थाना ने बताया कि लालू के रेलमंत्री रहने के दौरान रेलवे को दो होटलों के रखरखाव के लिए एक प्राइवेट कंपनी को टेंडर दिया गया और इसके ऐवज में लालू को तीन एकड़ जमीन दी गई. ये टेंडर साल 2004 से 2009 के बीच इंडियन रेलवे कैटरिंग ऐंड टूरिजम कॉर्पोरेशन (IRCTC) के जरिये दिए गए थे, जब लालू रेल मंत्री थे. अस्थाना ने कहा कि 2004 से 2014 के बीच रची गई इस कथित साजिश के लिए लालू और अन्य आरोपियों के खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ करप्शन ऐक्ट, 1988 के तहत केस दर्ज किया गया है.
फ्री गिफ्ट को लेकर आरोप-
लालू परिवार पर पिछले कुछ वर्षों में करोड़ो के फ्री गिफ्ट की बरसात भी जांच के दायरे में है. इसमें भी तेजस्वी के नाम पर कई संपत्तियों की लेन-देन हुई इनकी जांच चल रही है. बीजेपी नेता सुशील मोदी ने पिछले दो महीने में लालू परिवार पर कई आरोप लगाए हैं. सुशील मोदी के अनुसार, उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और उनके भाई व स्वास्थ्य मंत्री तेजप्रताप की खुद और उनके परिवार की एक हजार करोड़ से ज्यादा की बेनामी संपत्तियां हैं.
बीजेपी नेता का आरोप है कि पटना में जहां लालू परिवार का मॉल बन रहा है, वह जमीन पार्टी नेता प्रेमचंद गुप्ता ने लालू के बेटों के नाम की है. प्रेम गुप्ता की कंपनी इस मॉल की जमीन की मालिक थी और बाद में उसने इसे लालू यादव की पत्नी राबड़ी देवी और उनके बेटों तेजप्रताप यादव और तेजस्वी यादव के नाम कर दिया.
इसके अलावा तेजस्वी और तेजप्रताप को चाचा और नाना से भी करोड़ों के उपहार मिले, जो जांच के दायरे में हैं. लालू की बेटी हेमा यादव और पत्नी राबड़ी देवी को उनके नौकर ललन चौधरी ने 2014 में करीब एक करोड़ रुपये की जमीन दान में दी थी. ललन के नाम से बीपीएल कार्ड भी बना हुआ है. ये भी जांच के दायरे में है.
लालू की बेटी-दामाद भी जांच के घेरे में
लालू की बेटी मीसा भारती और दामाद शैलेश कुमार भी ईडी की जांच के घेरे में हैं. ईडी की टीमों ने मीसा-शैलेश के कई ठिकानों पर छापेमारी की थी. 8000 करोड़ रुपये के मनी लॉन्ड्रिंग केस में ये पूछताछ हुई थी. ये मामला फर्जी कंपनियों के जरिये करोड़ों रुपये ब्लैक से व्हाइट कराने का है. मंगलवार को दिल्ली में ईडी ने मीसा भारती से 8 घंटे तक पूछताछ की और बुधवार को शैलेश को समन किया गया है. लालू परिवार इन सब जांचों के लिए मोदी सरकार पर सियासी बदले का आरोप लगा रहा है.
तेजस्वी की सफाई
हालांकि इन आरोपों पर तेजस्वी यादव का कहना था कि 2004 के वक्त का यह जो घोटाला बताया जा रहा, तब मैं 13-14 साल का था. इस उम्र में घोटाला कैसे कर सकता हूं. तब तो मेरी मूंछे तक नहीं उगी थी. इसके साथ ही उन्होंने कहा, 'पहले दिन से ही हमारी नीति करप्शन के मामले में जीरो टॉलरेंस की रही है. ये जो FIR हुआ है ये राजनीतिक षड्यंत्र के तहत अमित शाह और मोदी जी की शह पर हुआ है. ये लोग लालू जी से तो डरते थे, लेकिन 28 साल के नौजवान से भी डरने लगे.'