पटना को उत्तर बिहार से जोड़ने वाले नए महात्मा गांधी सेतु को लेकर बिहार में जुबानी जंग शुरू हो गई है. दरअसल केंद्रीय सड़क एवं राजमार्ग परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हाजीपुर में मंगलवार को नए महात्मा गांधी सेतु का उद्घाटन किया. लोकार्पण कार्यक्रम को पूरी तरह से एनडीए का सरकार कार्यक्रम बना दिया गया, जिसमें विपक्ष के लिए जगह नहीं थी. मुख्य विपक्षी दल राष्ट्रीय जनता दल इसी बात से नाराज हो गया है.
आरजेडी की सरकार में शुरू हुआ था काम
राष्ट्रीय जनता दल ने सवाल खड़े किए हैं कि आखिरकार इस सरकारी कार्यक्रम में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को क्यों नहीं आमंत्रित किया गया? आरजेडी ने दलील दी है कि जब महात्मा गांधी सेतु के जीर्णोद्धार का काम शुरू हुआ था, उस वक्त तेजस्वी यादव पथ निर्माण मंत्री थे तो इस हैसियत से उन्हें भी लोकार्पण कार्यक्रम में बुलाया जाना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
केवल विधायक के तौर पर दिया निमंत्रण
राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता चितरंजन गगन ने कहा कि यह काफी दुखद मामला है कि महात्मा गांधी सेतु का एक हिस्सा तेजस्वी यादव के विधानसभा क्षेत्र राघोपुर में पड़ता है. महात्मा गांधी सेतु के जीर्णोद्धार में तेजस्वी यादव की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी. नेता प्रतिपक्ष एक संवैधानिक पद है और मंत्री के बराबर माना जाता है, इसके बावजूद भी उन्हें साधारण विधायक के तौर पर आमंत्रित किया गया. यह निंदनीय है.
अब 10 मिनट में पार कर सकेंगे सेतु: गडकरी
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने ट्वीट कर लिखा कि महात्मा गांधी सेतु बिहार की जीवनरेखा है, जो उत्तर बिहार को दक्षिण बिहार से जोड़ता है. इस सुपर स्ट्रक्चर रिप्लेसमेंट परियोजना से महात्मा गांधी सेतु को पार करने का 2 से 3 घंटे का समय घटकर अब 5 से 10 मिनट का हो गया है.
गडकरी के ट्वीट पर तेजस्वी ने किया वार
इसके बाद गडकरी के ट्वीट पर जवाब देते हुए तेजस्वी यादव ने लिखा कि मैंने उपमुख्यमंत्री और पथ निर्माण मंत्री रहते 18 महीने के छोटे से कार्यकाल में 5 बार नितिन गडकरी से गांधी सेतु के जीर्णोद्धार के लिए मुलाकात की. उसकी मरम्मत के लिए असली लड़ाई लड़ी, उसे डबल इंजन सरकार की संकीर्ण सोच व राजनीति ने स्थानीय विधायक के नाते भी उद्घाटन कार्यक्रम में बुलाना जरूरी नहीं समझा.
2100 करोड़ में तैयार हुआ है नया सेतु
गांधी सेतु का ऊपरी हिस्सा तोड़कर वहां स्टील का सुपर स्ट्रक्चर लगाया गया है. 1982 से ही पटना को हाजीपुर और मुजफ्फरपुर से जोड़ने का काम कर रहा महात्मा गांधी सेतु का कलेवर अब बदल गया है. इस सेतु को स्मार्ट लुक देने पर 21 सौ करोड़ रुपये खर्च हुए हैं.