बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई में एनडीए की नई सरकार के गठन के बाद सोमवार से विधानसभा का पहला सत्र शुरू हो गया है. कोरोना के खतरे को देखते हुए इस पांच दिवसीय बिहार विधानमंडल के सत्र के लिए विशेष व्यवस्थाएं की गई हैं. इस बीच आरजेडी नेता और राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने नीतीश सरकार पर करारा हमला बोला है.
तेजस्वी यादव ने सोमवार को कहा कि जनता ने बदलाव का जनादेश दिया और चुनाव आयोग ने अपना नतीजा दिया, फिर भी सबको शुभकामनाएं. तेजस्वी ने कहा कि भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और महंगाई के मुद्दे पर लोगों ने वोट दिया था. नीतीश कुमार ने एक बार फिर से चोर दरवाजे से सरकार बनाई है. सरकार में आने के बाद नीतीश कुमार ने वही काम किया जिसके लिए वो जाने जाते हैं. वो भ्रष्टाचार के भीष्म पितामह हैं, क्योंकि वो भ्रष्टाचारियों को बचाते हैं."
तेजस्वी ने अपना हमला जारी रखते हुए कहा कि आईएएस अधिकारियों ने चिट्ठियां जारी की हैं और लिखा है कि नीतीश जी भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देते हैं. सरकार बनते ही उन्होंने चर्चित नियुक्ति घोटाले के आरोपी को शिक्षा मंत्री बना दिया. उनके इस्तीफे के बाद फिर एक नए शिक्षा मंत्री को जिम्मेदारी दी जाती है, जिनके कार्यकाल में घोटाले हुए हैं, जिनकी पत्नी की CBI जांच चल रही है और सुप्रीम कोर्ट में मामला है."
तेजस्वी ने नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि खजाना लूटने वालों को इन्होंने बढ़ावा दिया और जांच के नाम पर जीरो रहे. नए शिक्षा मंत्री (अशोक चौधरी) के मामले में तो नीतीश कुमार को स्पष्टीकरण देना चाहिए, उनकी जवाबदेही होनी चाहिए. मेवालाल को मंत्री बनाना मुख्यमंत्री का फैसला था लेकिन उनके मुंह में दही क्यों जमा रहता है, 60 घोटाले करने के बाद बिहार की जनता को जानने का हक है.
तेजस्वी ने आगे कहा, "मेरे समय में इनकी अंतरात्मा जागती थी, नैतिकता की बात होती थी. अब क्या थोड़ी सी भी लाज-शर्म नहीं बची है. वो कहते थे कि हम उनके बलबूते विधानसभा पहुंचे, इस बार जनता ने अपना जवाब दे दिया, आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी है. दर्जनों ऐसे मंत्री हैं जिन पर भ्रष्टाचार और दूसरे गंभीर आरोप लगे हैं. सुप्रीम की फटकार के बावजूद नीतीश जी में कोई सुधार नहीं हुआ. अद्भुत है, क्या देश में ऐसा कोई मुख्यमंत्री है जिसकी पार्टी तीसरे नंबर की हो?"
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जब तेजस्वी से पूछा गया कि विरोधी आरोप लगा रहे हैं कि अगर भ्रष्टाचार के आरोपों पर मंत्री इस्तीफा दे सकते हैं तो क्या आप भी नेता प्रतिपक्ष के पद का त्याग करेंगे क्योंकि भ्रष्टाचार के आरोप आप पर भी हैं तो उन्होंने जवाब में कहा, "क्या मेरे उपमुख्यमंत्री रहते कोई गंभीर आरोप लगा है? ये तो तब के राजनीतिक षड्यंत्र वाले केस हैं, जब मेरी मूंछ तक नहीं थी, ये तो जगज़ाहिर है. पिछले सदन में तो मैं खुद कहता था कि जल्दी चार्जशीट करो. ये सब मामले को डाइल्यूट करने के लिए हैं. जो जनता के मुद्दे उठा रहा है, उनको बदनाम करना इनका वर्किंग स्टाइल है. लोगों के बीच में एक धारणा बनाना. हमारे खिलाफ तो किसी IAS अधिकारी ने नहीं लिखा."
तेजस्वी ने आगे कहा, "हम तो मुख्यमंत्री को चैलेंज करते हैं कि मेरे अठारह महीनों में कोई आरोप सिद्ध कर दें, सुशील मोदी कहां रह गए, क्यों नहीं कुछ सिद्ध कर पाए? ये तो अद्भुत है, आज मेरा शपथ है, और ये शपथ से पहले ही इस्तीफा मांग रहे थे. देश में पहली ऐसी घटना है जहां विपक्ष से इस्तीफा मांगा जा रहा है. मैं एनडीए सरकार को चुनौती देता हूं कि अगर एक महीने में 19 लाख रोजगार नहीं दिए तो जिस 1 करोड़ 24 लाख जनता ने हमें वोट दिया है, उनके साथ हम सड़क पर मिलेंगे."
इस बारे में तेजस्वी यादव ने ट्वीट भी किया है. अपने ट्वीट में तेजस्वी ने लिखा है, "भाजपा नीत नीतीश सरकार ने वादानुसार अगर एक महीने के अंदर 19 लाख नौकरी नहीं दी तो खेत-खलिहानों से लेकर सड़कों पर विशाल जन आंदोलन होगा. 1 करोड़ 56 लाख मतदाताओं ने कमाई, दवाई, पढ़ाई, सिंचाई जैसे हमारे मुद्दों पर भरोसा किया है. हम उनके विश्वास को टूटने नहीं देंगे. कड़ा संघर्ष जारी रहेगा."