आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद ने 25 साल पहले जिस पार्टी की स्थापना की थी, उस पार्टी पर कंट्रोल के लिए अब उनके दोनों बेटे तेजप्रताप और तेजस्वी के बीच में सत्ता संघर्ष खुलकर सामने आ चुका है. तेजप्रताप ने अपने पिता को कुछ लोगों द्वारा बंधक बनाए जाने का दावा किया था.
हालांकि रविवार को तेजस्वी ने अपने बड़े भाई के सभी आरोप को सिरे से खारिज कर दिया. इससे पहले तेजप्रताप ने कहा था कि आरजेडी में चार-पांच लोग ऐसे हैं जो राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने का सपना देख रहे हैं और उनको दिल्ली में बंधक बनाकर रखा है.
तेजस्वी ने साफ कह दिया कि तेजप्रताप का आरोप निराधार है और लालू का व्यक्तित्व ऐसा नहीं है कि उन्हें बंधक बनाकर रखा जा सके. तेजस्वी ने तेजप्रताप को जवाब देते हुए कहा, “लालू प्रसाद का व्यक्तित्व आरोपों से मैच नहीं खाता है.”
जिस तरीके से तेजप्रताप और तेजस्वी के बीच में पिछले कुछ समय से टकराव की स्थिति बनी हुई है उससे अब साफ हो चुका है कि दोनों भाइयों के बीच पार्टी पर कंट्रोल को लेकर संघर्ष चल रहा है. इसी साल नवंबर में लालू का पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर कार्यकाल समाप्त हो रहा है और इस बात की संभावना जताई जा रही है कि गिरते स्वास्थ्य के कारण वह परिवार में किसी को अब पार्टी की बागडोर सौंप देंगे और शायद यही वजह है कि लालू के दोनों बेटे, पार्टी पर पूर्ण नियंत्रण के कवायद में जुटे हुए हैं.
पिछले कुछ महीनों में ऐसे कई मौके आए हैं जब तेजस्वी यादव के कार्यक्रम से तेजप्रताप की तस्वीरें गायब होती हैं और तेजप्रताप के कार्यक्रम से तेजस्वी का चेहरा पोस्टर से नदारद रहता है. बीते दिनों आरजेडी प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह जो तेजस्वी यादव खेमे के हैं, उन्होंने छात्र आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष पद से आकाश यादव को हटा दिया था जो कि तेजप्रताप का दाहिना हाथ था. उस वक्त तेजप्रताप छात्र आरजेडी के संरक्षक थे.
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इस घटनाक्रम से तेजप्रताप इतने नाराज हुए कि कुछ ही दिनों के बाद उन्होंने छात्र जनशक्ति परिषद नाम की एक सामाजिक संस्था का गठन कर दिया. गौरतलब है कि लालू ने तेजस्वी को पहले ही अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित कर दिया है और उन्हें आरजेडी के लिए मुख्यमंत्री उम्मीदवार के तौर पर भी ऐलान किया हुआ है. ऐसे में तेजप्रताप की नजर आरजेडी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार बनने की नहीं बल्कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर है.
तेजप्रताप ने कई मौकों पर यह घोषणा की है कि तेजस्वी उनका अर्जुन है और बिहार का भावी मुख्यमंत्री. तेज प्रताप ने यह भी घोषणा की है कि वह अपने छोटे भाई को किसी भी कीमत पर मुख्यमंत्री बनाएंगे. इन सबके बीच जानकार बताते हैं कि तेजप्रताप चाहते हैं कि तेजस्वी मुख्यमंत्री बने और आरजेडी की बागडोर उनके हाथ में आ जाए.
आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा, “लालू परिवार में कोई सत्ता संघर्ष नहीं है. विरोधियों के हाथ कुछ भी नहीं लगने वाला है. हर परिवार में कुछ ना कुछ होता रहता है. लालू परिवार में लड़ाई हो रही है इसी को मुद्दा बनाकर विरोधी अपनी राजनीति चमकाते हैं और असली मुद्दे की बात नहीं करते हैं. नीति आयोग ने बिहार को फिसड्डी राज्य घोषित कर दिया है. मगर हमारे विरोधी पारिवारिक झगड़े को मुद्दा बनाकर मजे ले रहे हैं.”
हालांकि, बीजेपी और जनता दल यूनाइटेड मानती है कि लालू परिवार में सत्ता संघर्ष ने अब तूल पकड़ लिया है. बीजेपी प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा, “तेजप्रताप परिवार और पार्टी में अपने आप को स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं. तेजप्रताप कुछ भी कहते हैं तो तेजस्वी उनकी बात को काटते नजर आते हैं. लालू परिवार के भीतर सत्ता संघर्ष चल रहा है. लालू का कार्यकाल आरजेडी राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर समाप्त होने वाला है. आरजेडी के अंदर यह सवाल है कि पार्टी में भविष्य का नेता मीसा भारती होंगी या तेजस्वी या फिर तेजप्रताप.”
वही जनता दल यूनाइटेड प्रवक्ता अभिषेक झा ने कहा “आरजेडी कोई राजनीतिक पार्टी नहीं बल्कि प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की तरह चलने वाली एक पारिवारिक पार्टी है. समय-समय पर तेजस्वी और तेजप्रताप के बीच में हिस्सेदारी लेने की होड़ मची रहती है. कभी-कभी हिस्सेदारी की होड़ में दोनों भाइयों की बहनें भी मैदान में कूद जाती हैं. लालू परिवार के फैमिली ड्रामा में तेजस्वी और तेजप्रताप एक दूसरे की लगातार पोल खोल रहे हैं.”