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अब नीतीश तक पहुंची चारा घोटाले की आंच

बहुचर्चित चारा घोटाले के एक मामले में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद के दोषी करार दिए जाने के बाद न केवल बिहार की सियासत गरमा गई है, बल्कि इस घोटाले की तपिश अब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से होते हुए जनता दल-युनाइटेड (जदयू) तक भी पहुंचने लगी है.

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नीतीश कुमार
नीतीश कुमार

बहुचर्चित चारा घोटाले के एक मामले में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद के दोषी करार दिए जाने के बाद न केवल बिहार की सियासत गरमा गई है, बल्कि इस घोटाले की तपिश अब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से होते हुए जनता दल-युनाइटेड (जदयू) तक भी पहुंचने लगी है.

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नीतीश को लेकर बिहार की मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सहित राजद नीतीश को चारा घोटाले के नाम पर घेरने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती.

गौरतलब है कि झारखंड उच्च न्यायालय ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को निर्देश दिया है कि चारा घोटाला मामले में पैसे लेने के नीतीश कुमार और शिवानंद तिवारी पर लगे आरोपों पर वह हलफनामा दायर करे कि आखिर उनके खिलाफ जांच क्यों नहीं हो?

चारा घोटाले से संबंधित एक मामले में सोमवार को सीबीआई की विशेष अदालत ने लालू प्रसाद को दोषी करार दिया. इसके बाद से तीन अक्टूबर का दिन काफी अहम हो गया है, जब उन्हें इस मामले में सजा सुनाई जाएगी. इस सजा से न केवल लालू के राजनीतिक जीवन की दिशा तय होगी, बल्कि उनकी पार्टी राजद को लेकर भी कई प्रश्नों के जवाब लोगों को मिल सकेंगे.

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कई लोग जहां तीन अक्टूबर का इंतजार कर रहे हैं, वहीं लोगों को 22 नवंबर का भी बेसब्री से इंतजार है. इसी दिन हाईकोर्ट में सीबीआई के उस हलफनामे पर सुनवाई होनी है जो वह नीतीश और शिवानंद के मामले में दाखिल करेगी.

इस हलफनामा पर भले ही 22 नवंबर को सुनवाई होगी, लेकिन जद (यू) के 17 वर्षों तक का हमसफर बनी भाजपा के साथ-साथ विपक्षी दलों ने अभी से ही नीतीश को भी चारा घोटाले को लेकर घेरना शुरू कर दिया है.

राजनीति गलियारों में तो यह भी कहा जाने लगा है कि आमतौर पर लालू पर आक्रामक रहने वाले नीतीश ने लालू के चारा घोटाले में दोषी पाए जाने के बाद भी इसी कारण कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की.

इधर, भाजपा के नेता और पूर्व मंत्री गिरिराज सिंह तो नीतीश को लेकर पूरी तरह हमलावर नजर आ रहे हैं. गिरिराज कहते हैं कि कानून के हाथ काफी लंबे होते हैं, इस कारण किसी को खुशफहमी पालने की आवश्यकता नहीं है. देर सबेर सब कुछ सामने आ जाएगा. कानून में देर हो सकता है पर अंधेर नहीं. वे कहते हैं कि लालू-नीतीश और शिवानंद तीनों एक ही बैरक में रहेंगे.

बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने भी सोमवार को आरोप लगाया था कि नीतीश और शिवानंद भ्रष्टाचार में लिप्त होने के बाद भी सत्ता में बने हुए हैं.

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राजद नेताओं का आरोप है कि जब लालू प्रसाद बिना किसी ठोस सबूत के चारा घोटाले में दोषी पाए जा सकते हैं तो नीतीश क्यों नहीं? जबकि दोनों पर ही चारा घोटाले में पैसे लेने का आरोप लगा है.

उल्लेखनीय है कि मिथिलेश कुमार सिंह की पीआईएल पर उच्च न्यायालय ने सीबीआई को एक हलफनामा दाखिल कर यह बताने के लिए कहा है कि नीतीश और शिवानंद पर मुकदमा क्यों नहीं चलाया जाए. हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के लिए 22 नवंबर की तिथि तय की है.

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