यह कहानी नहीं बल्कि हकीकत है और आपको भी जानकर हैरानी होगी कि हिंदुस्तान में भी एक पाकिस्तान है. हम बात कर रहे हैं पूर्णिया के सिंघिया पंचायत में स्थित पाकिस्तान गांव की.
इस गांव की करीब 250 की आबादी रहती है और यहां 100 से अधिक मतदाता हैं. हालांकि, इस गांव पर हुकूमत ने कभी नजरे इनायत नहीं की और यहां के लोग आज भी मुफलिसी और बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं.
बुनियादी सुविधाओं से महरूम गरीबी में जीवन गुजार रहे लोगों का यह गांव आजादी के बाद आज तक सड़क पानी और बिजली की बुनियादी सुविधाओं से दूर तो है ही साथ ही योजनाओं का लाभ भी आज तक यहां नहीं पहुंच पाया है.
जिंदगी के अंतिम पड़ाव पर खड़े दल्लू मुर्मू बताते हैं कि इस गांव का नाम पाकिस्तान 1947 में बंटवारे के तुरंत बाद ही रख दिया गया था. इस पाकिस्तान में गरीबी और निरक्षरता है. 31.51 प्रतिशत साक्षरता वाले पूर्णिया जिले के इस गांव में शायद ही कोई साक्षर मिल जाए. गांव तक न तो सड़क है न ही कोई स्कूल या अस्पताल.
बहरहाल इस गांव के बाशिंदे अपने वोट की कीमत बखूबी जानते हैं और इस लोकसभा चुनाव में अपने मत का प्रयोग भी करेंगे लेकिन इन्हें आजतक गांव की तस्वीर नहीं बदलने का मलाल भी है.