जम्मू और कश्मीर में नियंत्रण रेखा के करीब माछिल में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में शहीद जवान शशांक कुमार सिंह के गाजीपुर जिला स्थित गांव नसीरुद्दीनपुर में जैसे ही उसकी शहादत की खबर पहुंची, पूरे गांव में सन्नाटा और मातम छा गया. मंगलवार को आतंकवादियों के भारतीय सीमा में घुसने के कोशिश को नाकाम करते हुए भारतीय सेना के 3 जवानों ने शहादत हासिल की जिनमें से दो गाजीपुर जिले के हैं और एक राजस्थान का. तीनों जवान 57 राष्ट्रीय राइफल में तैनात थे.
शशांक कुमार सिंह राष्ट्रीय राइफल में राइफलमैन के पद पर काम कर रहा था. शशांक के पिता एक किसान हैं. शशांक अपने परिवार में तीनों भाइयों में सबसे छोटे थे और उसने 2011 में भारतीय सेना में शामिल हुए थे. परिवार वालों के अनुसार 21 मई, 2017 को शशांक की शादी होने वाली थी.
'आज तक' से बातचीत करते हुए शशांक के पिता अरुण कुमार सिंह ने कहा कि वह पाकिस्तान से अपने बेटे की मौत का बदला चाहते हैं. उन्होंने कहा कि मुझे मेरे बेटे की शहादत पर गर्व है पर मैं चाहता हूं कि मेरे बेटे की शहादत व्यर्थ ना जाए और भारत सरकार पाकिस्तान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें और मेरे बेटे की मौत का बदला ले. शशांक का चचेरा भाई नवीन कुमार सिंह फौज में भर्ती होने की तैयारी कर रहा है और अपने भाई की मौत पर आग बबूला है.
नवीन ने कहा कि मैं चाहता हूं कि मुझे भी फौज में जगह मिले और जो काम मेरे बड़े भाई शशांक कुमार सिंह ने अधूरा छोड़ दिया है उसे मैं पूरा करना चाहता हूं और पाकिस्तान से अपने भाई की मौत का बदला लेना चाहता हूं. शहीद शशांक कुमार सिंह का पार्थिव शरीर गुरुवार को उसके पैतृक गांव नसीरुद्दीनपुर लाया जाएगा जहां उसका अंतिम संस्कार किया जाएगा.