बिहार में फिर से सीएम बने नीतीश कुमार को आज बिहार विधानसभा में बहुमत साबित करना है. नीतीश कुमार 'इम्ितहान' देने के लिए विधानसभा में मौजूद हैं. दूसरी ओर पूर्व सीएम जीतनराम मांझी बुधवार को विधानसभा में नहीं पहुंचे. उन्होंने स्पीकर को अपनी मेडिकल रिपोर्ट भेज दी है.
बिहार विधानसभा के बजट सत्र के पहले दिन बुधवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी सरकार के पक्ष में विधानसभा में विश्वास मत का प्रस्ताव पेश किया. प्रस्ताव के पक्ष और विपक्ष में बोलने के लिए तीन घंटे का समय निर्धारित किया गया है. इसके बाद मुख्यमंत्री अपना जवाब देंगे.
सुशासन व सामाजिक न्याय प्राथमिकता: राज्यपाल
सत्र की शुरुआत में राज्यपाल ने अपने अभिभाषण में कहा कि प्रदेश में सुशासन और सामाजिक न्याय सरकार की प्राथमिकता है. उन्होंने कहा कि कानून-व्यवस्था कायम रखना सबसे जरूरी है.
'नीतीश ने 2010 में मिले जनादेश से विश्वासघात किया'
बीजेपी विधायक नंद किशोर यादव ने नीतीश कुमार पर 2010 में मिले जनादेश के साथ विश्वासघात करने को आरोप लगाया. उन्होंने कहा, 'नीतीश कुमार ने PM बनने की आकांक्षा का विकास किया. इसके बाद ही BJP और JDU का गठबंधन टूटा.' उन्होंने सवाल खड़ा किया कि आखिर नीतीश किस तरह कांग्रेस से हाथ मिला सकते हैं, जबकि उनकी पूरी सियासत ही कांग्रेस के विरोध पर आधारित है.
नंद किशोर यादव ने कहा, 'नीतीश ने मांझी को इसलिए पद से हटाया, क्योंकि वे उनके वोट बैंक के लिए खतरा बन गए थे.' नंद किशोर यादव ने आरोप लगाया कि नीतीश ने मांझी को हटाने के लिए उन्हें अपमानित किया. उन्होंने कहा, 'नीतीश ने अपने प्रवक्ताओं से कहा था कि वे मांझी के खिलाफ अपमानजनक बयान दें.'
इससे पहले, जेडीयू ने बकायदा व्हिप जारी कर सभी विधायकों को सदन में मौजूद रहने को कहा. वहीं नीतीश सरकार को आरजेडी, कांग्रेस और सीपीआई का भी समर्थन हासिल है. नीतीश ने मांझी को दी चेतावनी
विधानसभा में नीतीश सरकार के लिए बहुमत साबित करना बहुत मुश्किल नहीं है, क्योंकि सरकार को कई दूसरे दलों का समर्थन है. इसके बावजूद जेडीयू अपनी तैयारी में कोई कसर नहीं छोड़ रही है. पार्टी ने व्हिप जारी करके जीतनराम मांझी और उनके बागी विधायकों को फिर फरमान जारी कर दिया है. साफ कर दिया गया है कि व्हिप को नहीं मानने पर विधानसभा की सदस्यता जाने में वक्त नहीं लगेगा.
अगर मांझी गुट के बागी विधायक विश्वास मत के दौरान विरोध में खड़े होते हैं, तब भी बहुमत का आंकड़ा सरकार के पक्ष में ही दिखता है.
आंकड़ों के लिहाज से बिहार विधानसभा की स्थिति इस तरह है:
--बिहार विधानसभा में कुल 243 सीटें हैं.
--आठ बागी विधायकों की सदस्यता खत्म हो चुकी है.
--1 सदस्य की मौत हो चुकी है.
--1 सदस्य का निर्वाचन अवैध करार दिया गया है.
--ऐसे में सदन में कुल 233 सदस्य हैं.
--नीतीश सरकार को बहुमत के लिए 117 का आंकड़ा चाहिए.
--जेडीयू के पास 111 की संख्या है.
--आरजेडी के पास 24 सदस्य हैं.
--कांग्रेस के पास 5 का आंकड़ा.
--सीपीआई के 1 विधायक और निर्दलीय सदस्य हैं 2.
दूसरी ओर, बीजेपी के पास कुल 87 सदस्य हैं. ऐसे में आंकड़ा पूरी तरह से नीतीश के साथ है. इस बात का इल्म बीजेपी को भी है. ऐसे में देखना यह होगा कि बीजेपी वॉकआउट करती है या फिर मत विभाजन की मांग करती है.