उरी हमले में बिहार के पीरो थाना के रकटू टोला के रहने वाले शहीद अशोक सिंह और आरा के पीपरपांती गांव के रहने वाले शहीद राजकिशोर सिंह दोनों पक्के दोस्त थे, दोस्ती ऐसी थी कि उसे पूरा देश याद रखेगा. दोनों एक साथ छुट्टी पर आए थे. एक साथ ही गए और देश की रक्षा के लिए दोनों शहीद हो गए. सेना में जाने के बाद दोनों में दोस्ती हुई थी, दोनों साथ-साथ लंबे समय तक पोस्टिंग में भी रहे थे. जुलाई 2016 में राजकिशोर सिंह अशोक सिंह एक साथ एक महीने की छुट्टी पर अपने घर आए थे. 30 जुलाई को दोनों दोस्त एक साथ आरा से ट्रेन पकड़कर जम्मू-कश्मीर के लिए गए थे.
शहीद अशोक सिंह और शहीद राजकिशोर सिंह उरी सेक्टर में कार्यरत थे. 18 सितंबर को जब आतंकवादियों का हमला हुआ था तो दोनों को गोली लगी थी. अंतर सिर्फ इतना हुआ कि घटना के दिन ही अशोक सिंह शहीद हो गए थे और गोली लगने से घायल राजकिशोर सिंह भी जिंदगी और मौत से जूझते हुए गुरुवार को वीरगति को प्राप्त हो गए.
शहीद राजकिशोर सिंह इन दस दिनों तक शायद इस बात का इंतजार कर रहे थे कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कब पाकिस्तान पर हमला बोलेंगे. इधर, भारतीय सेना ने पाक पर हमला बोला उधर दिल्ली में शहीद राजकिशोर ने हंसते हुए देश के लिए अपनी कुर्बानी दे दी. भोजपुर जिला शहीद अशोक सिंह के मातम को अभी भुला भी नहीं पाया था कि भोजपुर जिले का एक और वीर सपूत ने देश की रक्षा करते-करते दिल्ली में इलाज के दौरान देश के नाम पर शहीद हो गया. भोजपुर जिले के बड़हरा प्रखंड के पिपरपाती गांव के राजकिशोर सिंह जो बिहार रेजिमेंट के 6 बटालियन में कार्यरत थे.
शहीद राजकिशोर के परिवार वालों का रो-रोकर बुरा हाल है. शुक्रवार सुबह जब शहीद राज किशोर सिंह का पार्थिव शरीर जब उनके गांव पहुंचा तो पूरे इलाके के लोग इकट्ठा होकर अपने वीर सपूत के अंतिम दर्शन करने उमड़ पड़े. शहीद राजकिशोर ने एक सपना देखा था कि उसका बेटा इंजीनियर और बेटी डॉक्टर बने, अब राजकिशोर के बाद उनकी पत्नी अपने दोनों बच्चों को इंजीनियर और डॉक्टर कैसे बनाएगी यह सोचकर वह रोने लगती.