मोदी सरकार में मानव संसाधन राज्यमंत्री उपेन्द्र कुशवाहा बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर लगातार हमलावर हैं. वो नीतीश कुमार पर हमला करने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं. बीजेपी और जेडीयू के बीच बराबर सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ने की सहमति बनने के बाद से तो यह सिलसिला और बढ़ गया हैं. साथ ही नीतीश कुमार द्वारा कथित तौर पर उपेंद्र कुशवाहा को नीच कहने के विवाद ने इसको और हवा दे दी है.
अब केन्द्रीय मानव संसाधन राज्यमंत्री कुशवाहा ने शिक्षा को लेकर नीतीश कुमार पर हमला बोला है यानी जिस विभाग के वो मंत्री हैं और जिस एनडीए में वो शामिल हैं, उसी की सरकार पर आरोप लगाया कि बिहार सरकार ने बड़ी संख्या में अयोग्य शिक्षकों की बहाली कर दी है. अयोग्य शिक्षक बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. जो शिक्षक पढ़ाने के काबिल नहीं हैं, उन्हें सरकार तत्काल हटाए. अगर सरकार उन्हें नहीं हटा सकती, तो उनसे कोई दूसरा काम लिया जाए.
उपेंद्र कुशवाहा ने कहा, 'हमने बिहार सरकार को शिक्षा में सुधार के लिए कई सुझाव दिए थे, लेकिन नीतीश सरकार ने अब तक उन सुझावों पर अमल नहीं किया. अब भी समय है. नीतीश सरकार हमारे सुझाव पर अमल करके शिक्षा के स्तर को गिरने से बचा ले. हमने अपने स्तर से शिक्षा में सुधार को लेकर कई सामाजिक अभियान भी चलाए हैं.'
वैसे उपेन्द्र कुशवाहा कुछ गलत नहीं बोल रहे थे. इसमें सच्चाई भी है, लेकिन वो जिस तरीके से बोल रहे थे, उससे लगता है कि उनका मकसद सिर्फ नीतीश सरकार पर हमला करने का था.
केन्द्रीय राज्यमंत्री उपेन्द्र कुशवाहा ने बिहार सरकार से शिक्षकों की बहाली पैटर्न को बदलने की मांग की. कुशवाहा ने कहा कि बिहार में अब शिक्षकों की बहाली बिहार पब्लिक सर्विस कमिशन (बीपीएससी) या इसके स्तर की एजेंसी से कराई जाए, ताकि गुणवत्ता वाले शिक्षक सेवा में आएं.
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि पहले बीपीएससी के तहत शिक्षकों की बहाली हुई थी. लिहाजा उन शिक्षकों का परफॉरमेंस काफी अच्छा है. कुशवाहा ने नीतीश सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि सूबे में शिक्षा व्यवस्था बेपटरी हो चुकी है.