केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने बिहार सरकार से ताड़ी पर पाबंदी उठाने की मांग की है. इसके लिए सोमवार को वह पटना में धरना पर बैठे. उन्होंने कहा कि शराबबंदी के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ताड़ी पर पाबंदी लगाने की कोई जरूरत नहीं थी. इससे पासी जाति के लोगों को काफी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है.
पासी जाति के खिलाफ है नीतीश सरकार की कार्रवाई
पासी जाति की मांगों को पूरा करने के लिए राज्य सरकार के खिलाफ धराना पर बैठे पासवान ने कहा कि ताड़ी प्राकृतिक है. इसके उत्पादन में पासी जाति के लोग बड़ी संख्या में लगे हुए हैं.
इस पर पाबंदी से बड़े पैमाने पर उनका रोजगार मारा जा रहा है. सरकार को इसके बारे में सोचते हुए ताड़ी के कारोबार पर से पाबंदी हटा लेनी चाहिए.
अल्कोहल नहीं जूस है ताड़ी
पासवान ने कहा कि बिहार में पासी जाति के लोगों की लगभग 20 लाख की आबादी है. इस फैसले से उनके लिए दिक्कत बढ़ गई है. नीतीश कुमार ने 10 साल तक हर गांव में शराब की दुकान खुलवा दी. 17 साल तक बीजेपी और आरएसएस की मदद से सरकार में रहे. उन्हें मालूम होना चाहिए कि ताड़ी को एल्कोहल नहीं बल्कि जूस माना जाता है. इसलिए उन्हें इस पर से पाबंदी तुरंत हटा लेनी चाहिए.
जीतनराम मांझी भी जता चुके हैं नाराजगी
इसके पहले एनडीए के दूसरे सहयोगी दल हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के प्रमुख और राज्य के पूर्व उप मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने भी ताड़ी पर पाबंदी के खिलाफ आवाज बुलंद की थी. उन्होंने इस
पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि ताड़ी में कुछ गलत नहीं है, यह प्राकृतिक है और उन्होंने भी पी है. मांझी ने कहा था कि जेडीयू-राजेडी गठबंधन सरकार लोगों पर अन्याय कर रही है.
फैसले से नाराज मांझी ने राज्य सरकार को गरीब और अनुसूचित जाति और जनजाति के खिलाफ बताया है.
शराबबंदी के बाद ताड़ी की खपत की बढ़ने की खबर
इस साल पहली अप्रैल से देसी शराब पर पाबंदी के बाद ताड़ी के अवैध कारोबार के बढ़ने की आशंका के बीच उत्पाद विभाग ने ताड़ी बेचने पर भी रोक लगा दी. उत्पाद विभाग ने बताया कि
पाबंदी के बाद मौजूदा हालात का फायदा उठाकर धंधे बाज ताड़ी में अवैध शराब और नशीली पदार्थ मिलाकर पिला रहे हैं. खबर मिलने के बाद विभाग ने ताड़ी बेचने पर भी पाबंदी लगा दी है.
शराब बंदी के कुछ ही घंटों बाद विभाग को ताड़ी की खपत बढ़ने की खबर मिली थी.