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खीर की मिठास पर गरमाई बिहार की सियासत, कुशवाहा ने दी सफाई

केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा के यदुवंशियों का दूध और कुशवंशियों का चावल से मिलाकर खीर बनाने वाले बयान से पलटे कुशवाहा ने फिलहाल संकेत दिया है कि रालोसपा और आरजेडी के बीच कोई राजनीतिक खिचड़ी नहीं पक रही है.

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केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा
केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा

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राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के घटक दल, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के विपक्षी गठबंधन में शामिल होने की चर्चाओं पर विराम देते हुए रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा अपने उस बयान से पलट गए हैं. अब कुशवाहा का कहना है कि उन्होंने न तो आरजेडी से दूध मांगा है और न ही भाजपा से चीनी मांगी है.

दरअसल केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने पटना में एक कार्यक्रम में यादव और कुशवाहा समाज के लोगों को साथ आने की वकालत करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा था कि यदुवंशियों का दूध और कुशवंशियों का चावल मिल जाए तो खीर बढ़िया बन सकती है. कुशवाहा के इस बयान का आरजेडी नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने स्वागत भी किया था.

अब अपने बयान पर सफाई देते हुए कुशवाहा का कहना है कि उनके बयान का गलत अर्थ निकाला गया उन्होंने तो सभी समाज का समर्थन मांगा था. उन्होंने कहा कि मैंने न राजद से दूध मांगा और न ही भाजपा से चीनी मांगी. मैं तो सामाजिक एकता की बात कर रहा था. किसी जाति या समुदाय को किसी राजनीतिक पार्टी से जोड़ने की कोशिश नहीं किया जाना चाहिए.

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उल्लेखनीय है कि कुशवाहा ने यह भी कहा था कि खीर बनाने के लिए दूध और चावल ही नहीं, बल्कि छोटी जाति और दबे-कुचले समाज के लोगों का पंचमेवा भी चाहिए.

कुशवाहा के इस बयान के बाद यह कयास लगाया जाने लगा कि रालोसपा अब आरजेडी गठबंधन में जाने वाले हैं. बता दें कि यह पहला मौका नहीं है जब कुशवाहा और आरजेडी के नजदीक होने की चर्चाएं हो रही हैं. इससे पहले भी कई मौकों पर कुशवाहा, आरजेडी प्रमुख लालू यादव से अपनी नजदीकी के संकेत दे चुके हैं.

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