जेडीयू में राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (RLSP) के विलय की चर्चा को लेकर सियासत गरमाई हुई है. उपेन्द्र कुशवाहा की पार्टी का जेडीयू में विलय तय माना जा रहा है. ये चर्चा उस समय फिर तेज हो गई, जब सोमवार को जेडीयू के राज्यसभा सांसद वशिष्ठ नारायण सिंह और आरएलएसपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा एक साथ इंदिरा गांधी अस्पताल में साथ नजर आए. यहां दोनों नेता कोरोना वैक्सीन लगवाने के लिए पहुंचे थे.
पटना के इंदिरा गांधी इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में जेडीयू के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह के साथ एक साथ यहां कोरोना वैक्सीन लगवाने को लेकर उपेंद्र कुशवाहा का कहना है कि ये महज एक संयोग था. इसे सियासत न समझा जाए. वशिष्ठ नारायण सिंह से हमारा पुराना संबंध रहा है. हालांकि उपेंद्र कुशवाहा जहां इसे महज एक संयोग मान रहे हैं, तो चर्चा ये चल रही है कि वशिष्ठ नारायण सिंह ने ही उपेन्द्र कुशवाहा की बात मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से करवाई है.
बता दें कि बिहार में मंत्रिमंडल विस्तार से पहले से ही उपेन्द्र कुशवाहा के सरकार में शामिल होने की चर्चा शुरू हो गई थी, लेकिन शर्त ये थी कि वो अपनी पार्टी का जेडीयू में विलय कर दें, लेकिन उपेन्द्र कुशवाहा पार्टी में हो रही खींचतान को समझ रहे थे. इसलिए वो सही समय का इंतजार भी कर रहे हैं. माना जा रहा है कि 13-14 मार्च को पार्टी की होने वाली महत्वपूर्ण बैठक में जेडीयू में विलय होने का फैसला हो जायेगा.
सूत्रों के मुताबिक इसके लिए सारी रूपरेखा तैयार कर ली गई है. उपेन्द्र कुशवाहा को सरकार में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिलनी भी तय है. हालांकि जेडीयू में विलय को लेकर आरएलएसपी के कई नेता नाराज भी बताये जा रहे हैं. पार्टी के महासचिव विनय कुशवाहा ने 40 सदस्यों के साथ आरएलएसपी छोड़ दी है. इसके बावजूद पार्टी का एक बड़ा तबका जेडीयू में विलय के लिए तैयार है.
लम्बा रहा है साथ
बता दें कि उपेन्द्र कुशवाहा और नीतीश कुमार का लम्बा साथ रहा है. इनके बीच कभी दोस्ती रही तो कभी मुकाबला. 2013 में नीतीश कुमार से मतभेद होने के बाद उपेन्द्र कुशवाहा ने अलग पार्टी बना ली थी और एनडीए के साथ चुनाव लड़कर केन्द्र में मंत्री बन गए थे. 2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले नीतीश कुमार की वजह से ही उपेन्द्र कुशवाहा ने एनडीए छोड़ी और महागठबंधन के साथ चुनाव लड़े, लेकिन एक भी सीट नहीं जीत पाए. विधानसभा चुनाव में बीएसपी के साथ समझौता करने के बावजूद एक सीट पार्टी को नहीं मिली. अब एक बार फिर उपेन्द्र कुशवाहा नीतीश कुमार के साथ आ रहे हैं, तो उनके राजनीतिक जीवन में यह एक नए मोड़ की तरह है.
उपेन्द्र कुशवाहा ये भी कहते हैं कि वो नीतीश कुमार से कभी अलग नहीं रहे. राजनीतिक विरोध अपनी जगह है. वहीं वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि उपेन्द्र कुशवाहा और नीतीश कुमार पुराने सहयोगी रहे हैं और जल्दी ही वो साथ आ जाएंगे.