बिहार की सियासी गलियों में एक बार फिर उपेंद्र कुशवाहा के नाम की चर्चा तेज है. हाल ही में जेडीयू से इस्तीफा देकर उपेंद्र कुशवाहा ने राष्ट्रीय लोक जनता दल नाम से अपनी पार्टी बनाकर नीतीश कुमार के खिलाफ आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर दिया है. ऐसे में जहां मंगलवार को सदन में नीतीश सरकार बजट पेश करेगी तो वहीं दूसरी तरफ राष्ट्रीय लोक जनता दल के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा बिहार सरकार का 'सियासी बजट' बिगाड़ने के लिए राज्य की यात्रा पर होंगे. हाल ही में उपेंद्र ने यह कहते हुए इस यात्रा की जानकारी दी थी कि वो लोहिया और कर्पूरी की विरासत को बचाने के लिए सड़क पर उतरेंगे.
उपेंद्र कुशवाहा का कहना है कि वो बिहार को एक बेहतर राज्य बनाने की पुरजोर कोशिश करेंगे, यही उनका संकल्प भी है. उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि कर्पूरी ठाकुर और राम मनोहर लोहिया की विरासत बिहार में रही है वह आज बर्बादी की कगार पर है. आम लोग डरे और सहमे हैं. लोगों ने नीतीश कुमार को इस विरासत को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी सौंपी थी मगर अब नीतीश कुमार इस विरासत को बचाने में असफल है. ऐसे में अब हम पूरे बिहार में भ्रमण करेंगे और कोशिश करेंगे कि बिहार को गलत हाथों में नहीं जाने दें.
20 मार्च तक चलेगी नमन यात्रा
उपेंद्र कुशवाहा ने 20 मार्च तक चलने वाली अपनी यह यात्रा आज मंगलवार को पश्चिम चंपारण के भितिहारवा से शुरू की है. यात्रा के दौरान उपेंद्र कुशवाहा बिहार के 28 जिलों का भ्रमण करेंगे और जानकारी के मुताबिक 100 से ज्यादा जनसभाएं भी करेंगे. 20 मार्च को उनकी यात्रा जहानाबाद में समाप्त होगी. उपेंद्र कुशवाहा की यह यात्रा दो चरणों में होगी. पहले चरण की यात्रा 28 फरवरी से 6 मार्च तक चलेगी जबकि दूसरे चरण की यात्रा 15 मार्च से 20 मार्च तक चलेगी.
बता दें कि जनता दल यूनाइटेड से अलग होने के बाद उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी नई पार्टी राष्ट्रीय लोक जनता दल बनाई है और इस यात्रा के जरिए उपेंद्र कुशवाहा नीतीश कुमार के पिछड़ी और अति पिछड़ी जाति के वोट बैंक में सेंधमारी की कोशिश करेंगे. उपेंद्र कुशवाहा की यह भी कोशिश होगी कि इस यात्रा के जरिए वह कुशवाहा वोट बैंक को एकजुट करें.
बीजेपी के साथ जा सकते हैं कुशवाहा
माना जा रहा है कि उपेंद्र कुशवाहा एक बार फिर से बीजेपी खेमे के साथ खड़े हो सकते हैं, क्योंकि 2013 में भी उन्होंने जेडीयू छोड़कर अपनी पार्टी बनाई थी और उसके बाद 2014 के लोकसभा में बीजेपी के साथ मिलकर लड़े थे. बीजेपी ने 22 और कुशवाहा की पार्टी ने तीन सीटें जीती थी, जबकि रामविलास पासवान की पार्टी (एलजेपी) ने 6 सीटें जीती थी. बीजेपी और कुशवाहा दोनों को फायदा मिला था. इस बार भी बिहार के सियासी समीकरण 2014 की तरह बन गए हैं, जब नीतीश महागठबंधन के साथ हैं तो बीजेपी दस साल पहले वाले फॉर्मूला बना रही है.
JDU के विकल्प के तौर पर स्थापित करने की कोशिश
कुशवाहा को अपने पाले में लेकर बीजेपी बिहार में जेडीयू के विकल्प के तौर पर उन्हें स्थापित करने की कोशिश में है. नीतीश कुमार ने कुशवाहा के साथ मिलकर लव-कुश (कुर्मी-कोइरी) समाज का समीकरण तैयार किया था. नीतीश कुर्मी समाज से आते हैं तो कुशवाहा कोइरी समाज से हैं. नीतीश ने कभी इसी फॉर्मूले से लालू प्रसाद यादव के यादव-मुस्लिम समीकरण को चुनौती दी थी. इसके बाद से कोइरी और कुर्मी वोटर नीतीश का परंपरागत मतदाता माना जाता है, लेकिन कुशवाहा ने जेडीयू से अलग होकर नीतीश कुमार के खिलाफ आर-पार की लड़ाई का बिगुल फूंक दिया है.