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बिहारः वैशाली के घोसवर गांव में दहशत का माहौल, चंद दिनों में 15 लोगों की मौत

वैशाली जिले के घोसवर गांव को कोरोना ने बुरी तरह जकड़ रखा है. करीब 2 हजार की आबादी वाले इस गांव के आधे लोग बीमार हैं. बड़ी बात यह है कि उन्हें ये भी पता नहीं है कि उन्हें कोरोना है या नहीं.

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सांकेतिक तस्वीर (पीटीआई)
सांकेतिक तस्वीर (पीटीआई)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • हाजीपुर शहर से 10 किलोमीटर दूर स्थित घोसवर गांव
  • गांव में कोरोना का जबरदस्त कहर
  • स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर या कोई मेडिकल स्टाफ ही नहीं

वैशाली जिले के घोसवर गांव में कोरोना ने बुरी तरह से कहर बरपाया है. इस गांव में पिछले चंद दिनों में 15 लोग मौत की नींद सो गए और पूरे गांव में अजीब तरह का सन्नाटा पसरा हुआ है.

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हाजीपुर-मुजफ्फरपुर हाइवे पर स्थित घोसवर गांव बेहद संपन्न गांव है. जिला मुख्यालय हाजीपुर शहर से 10 किलोमीटर दूर स्थित इस गांव में रेलवे स्टेशन भी है और स्वास्थ्य उपकेंद्र भी. लेकिन ये उपकेंद्र केवल नाम का है. जब हम घोसवर के स्वास्थ्य उपकेंद्र पहुंचे तो बड़ा सा ताला उसके गेट पर लगा था.

उपकेंद्र की हालत तो ठीक दिखी लेकिन जब स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर या कोई मेडिकल स्टाफ नहीं दिखे तो कई तरह के सवाल खड़े हुए.

गांव को कोरोना ने बुरी तरह जकड़ रखा है. करीब 2 हजार की आबादी वाले इस गांव के आधे लोग बीमार हैं. बड़ी बात यह है कि उन्हें ये भी पता नहीं है कि उन्हें कोरोना है या नहीं.

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गांव के 100 लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने टेस्ट कराया और पॉजिटिव निकले. इसके बावजूद स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर तैनात नहीं हैं. उपकेंद्र में ना टेस्ट की सुविधा है और ना ही दवाइयां हैं.

हाजीपुर और मुज़फ़्फ़रपुर हाइवे पर स्थित घोसवर गांव के बिट्टू ने बताया कि इस केंद्र पर करीब 100 लोगों को वैक्सीन दिया गया. उसके बाद इस कोरोना काल में यहां कोई इलाज और ना ही टेस्ट की सुविधा है. यहां तक की दवाइयां भी नहीं मिलती. लोग निजी अस्पतालों में अपना इलाज कराने को मजबूर हैं.

हाइवे पर मिठाई की दुकान चलाने वाले रामजी शाह कहते हैं कि गांव के बड़े-बड़े प्रतिष्ठित लोग चले गए. किसी ने मुंह तक नहीं देखा. उनके बच्चे भी नहीं देख पाए. जिस तरह लपेट कर आए और उसी तरह गए. भगवान ऐसे दिन किसी को न दिखाए.

 

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