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बिहार: सब्जियों में किडनी और हार्ट की बीमारियां देने वाले घातक लेड-कैडमियम की मात्रा मौजूद

फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार बिहार में उपजाई और बेची जा रही 10.6 फीसद सब्जियों में लेड और कैडमियम जैसे हेवी मेटल्स की मात्रा तय सीमा से दो से तीन गुना तक ज्यादा है. रिपोर्ट के मुताबिक सब्जियों में हेवी मेटल्स की यह मात्रा कीटनाशकों के इस्तेमाल और गंदे पानी से हो रही सिंचाई से आ रही है.

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Vegetables. Photo: PTI
Vegetables. Photo: PTI
स्टोरी हाइलाइट्स
  • एफएसएसएआई की रिपोर्ट में हुआ खुलासा
  • गंदे पानी से सिंचाई के चलते आ रहे हेवी मेटल्स
  • सब्जियों के 306 यानी 9.21% नमूने फेल

कोरोना काल में एक ओर जहा इम्युनिटी बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है, तो वहीं बिहार के लिए ये बेहद बुरी खबर है. फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार बिहार में उपजाई और बेची जा रही 10.6 फीसद सब्जियों में लेड और कैडमियम जैसे हेवी मेटल्स की मात्रा तय सीमा से दो से तीन गुना तक ज्यादा है.

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फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया द्वारा देश को पांच जोन में बांटकर एक अध्ययन किया गया. इस अध्ययन में सिर्फ साउथ जोन के नमूने खरे उतरे. वहीं बिहार के 10.6% और छत्तीसगढ़ के 13.6% नमूने इस जांच में फेल हो गए. एफएसएसएआई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अरुण सिंघल ने इस मामले में केन्द्रीय जल शक्ति, पर्यावरण और कृषि मंत्रालय को जरूरी कदम उठाने का आग्रह किया है.

ये सब्जियां की गईं शामिल

एफएसएसएआई द्वारा किए गए इस अध्ययन में तीन किस्म की सब्जियों के नमूने लिए गए. पत्ते वाली, फल वाली और जमीन के अंदर होने वाली. इन तीनों ही किस्म की सब्जियों के कुल 3323 नमूने लिए गए. इन नमूनों पर पूरे वर्ष अध्ययन किया गया, जिसके बाद दो माह में इसकी रिपोर्ट तैयार की गई. सब्जियों के 306 यानी 9.21% नमूने फेल हो गए हैं. 

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इसलिए खतरनाक हो रहीं सब्जियां 

रिपोर्ट के मुताबिक सब्जियों में हेवी मेटल्स की यह मात्रा कीटनाशकों के इस्तेमाल और गंदे पानी से हो रही सिंचाई से आ रही है. एफएसएसएआई के अधिकारियों की मानें तो एक बड़े स्तर पर भी अध्ययन की आवश्यकता है.

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