बेहद चौंकाने वाले घटनाक्रम में बिहार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद जेडीयू से निष्कासित जीतनराम मांझी ने शुक्रवार सुबह प्रेस कॉन्फ्रेंस की. उन्होंने स्पीकर के आचरण पर सवाल उठाए और अपने मंत्रियों-विधायकों को धमकी दिए जाने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, 'विधानसभा में हाथापाई का खतरा था, हमने अपने विधायकों की जान और सदस्यता बचाने के लिए मुख्यमंत्री पद की कुर्सी छोड़ी.'
उन्होंने कहा, 'हमारे मंत्रियों को विधायकों को जान से मारने की धमकी लगातार दी जा रही थी. मोबाइल में धमकी भरे मेसेज आ रहे थे. हमें खुद भी धमकी भरे मैसेज आए, जिसके बारे में आप सब लोग जानते ही हैं. हमारे विधायक रामेश्वर पासवान के घर 10 अजनबी लोग जमे हुए थे और उनसे इधर-उधर की बात की जा रही थी.' मांझी ने आरोप लगाया कि उनको यानी एक महादलित को प्रताड़ित किया गया और नीतीश कुमार भीष्म पितामह बने सब कुछ देखते रहे.
पत्रकारों से बात करते हुए मांझी ने कहा, 'इसके अलावा और विधायकों के साथ भी ऐसा ही हो रहा है. माननीय राज्यपाल से हमने गुप्त मतदान की बात कही थी. लेकिन राज्यपाल ने कहा कि संविधान में गुप्त मतदान का प्रावधान नहीं है.' इस बीच जीतन राम मांझी के इस्तीफे पर बीजेपी नेता नंद किशोर यादव का कहना है कि कौरवों ने अभिमन्यु का वध कर दिया है. बिहार की ये दुर्दशा सिर्फ और सिर्फ नीतीश कुमार ने की है.
'हमारे पास अब भी बहुमत'
हालांकि मांझी ने अब भी अपने पास बहुमत होने का दावा किया. उन्होंने कहा, 'अब भी हमारे पक्ष में 40 से 52 जेडीयू विधायक हैं, लेकिन गुप्त मतदान न होने पर उनकी जान को खतरा हो सकता था और उनकी सदस्यता भी रद्द की जा सकती थी. यह सब देखते हुए हमने इस्तीफा सौंपना ही बेहतर समझा. अगर गुप्त मतदान होता तो हमारे पास कम से कम 200 विधायकों का समर्थन था. अगर हम आज विधानसभा में जाते तो बहुत सी बातें सामने आती. वहां पहले से ही बहुत इंतजाम किए गए थे. यह सब देखते हुए हमने इस्तीफा दिया. अब राज्यपाल संवैधानिक उपाय करें. सरकार बनाने का न्योता अपने विवेक से जिसे देना हो दें. हम दलित परिवार से हैं और ऐसे दलित परिवार से जिसका कोई राजनीतिक इच्छा नहीं रही है. लेकिन नीतीश कुमार ने हमें मुख्यमंत्री बनाया.'
'रबर स्टैंप CM नहीं था'
मांझी ने एक बार फिर जेडीयू नेतृत्व पर निशाना साधा. उन्होंने कहा, 'मुख्यमंत्री बनने के बाद हमने 2-3 महीना काम किया लेकिन अपनी मर्जी से कुछ नहीं किया. मंत्रिमंडल में हमारा कोई निर्णय नहीं होता था. लोग हमें रबर स्टैंप और रिमोट सीएम कहने लगे. यह देखकर हमारा स्वाभिमान जागा और हमने अपने तरीके से काम करना शुरू किया. हमें 2 महीने भी अपने तरीके से काम नहीं करने दिया गया. किसी को नौकरी से भी निकाला जाता है तो कारण बताया जाता है हमें बिना कारण बताए पार्टी से निकाल दिया गया.'