चारा घोटाला के एक और मामले में राष्ट्रीय जनता दल अध्यक्ष लालू यादव को कोर्ट ने 5 साल जेल और 60 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है. यह मामला डोरंडा कोषागार से 139 करोड़ रुपये की अवैध निकासी से जुड़ा हुआ है.
लालू को चारा घोटाले में कब-कब मिली सजा
बिहार में चारा घोटाला का मामला उस वक्त सामने आया था जब उस समय चाईबासा के उपायुक्त रहे अमित खरे ने पशुपालन विभाग के दफ्तरों में छापेमारी की थी और सभी दस्तावेजों को जब्त कर लिया था. उसमें आपूर्ति के नाम पर अवैध निकासी के सबूत मिले थे. उस वक्त झारखंड बिहार का ही हिस्सा हुआ करता था.
1997 में पहली बार लालू यादव का नाम आया सामने
23 जून 1997 को इस मामले की जांच कर रही एजेंसी सीबीआई ने इसमें राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू यादव समेत 56 लोगों को आरोपी बनाया था. उन्हें 30 जुलाई को राजनीतिक दबाव की वजह से अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था.
2007 में पहली बार सुनाई गई सजा
लालू यादव को चारा घोटाला मामले में साल 2007 में सीबीआई की विशेष अदालत (रांची) ने चाईबासा कोषागार से 48 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले में दोषी ठहराया और उन्हें ढाई साल से 6 साल तक जेल की सजा सुनाई.
साल 2013 में चारा घोटाले के दूसरे मामले में सजा
सीबीआई की विशेष अदालत ने लालू यादव और जगन्नाथ मिश्र सहित 45 लोगों को चाईबासा ट्रेजरी से 37 करोड़ 70 लाख रुपये की अवैध निकाली के मामले में दोषी पाया. इसी साल उन्हें लोकसभा सांसद के रूप में भी अयोग्य घोषित कर दिया गया और उन्हें जेल जाना पड़ा.
2017 में देवघर ट्रेजरी से पैसा निकासी के मामले में सजा
साल 2017 में सीबीआई की विशेष अदालत ने लालू यादव को देवघर ट्रेजरी से 89.27 लाख रुपये निकालने के मामले में दोषी ठहराया और उन्हें साढे़ तीन साल जेल की सजा सुनाई.
2018 में चाईबासा ट्रेजरी से 33 करोड़ की धोखाधड़ी में सजा
साल 2018 में रांची की विशेष सीबीआई अदालत ने चाईबासा ट्रेजरी से ही 33.13 करोड़ी की धोखाधड़ी के मामले में लालू यादव को दोषी ठहराया और उन्हें पांच साल कैद की सजा सुनाई.
इसी साल उन्हें 1995-96 में दुमका कोषागार से 3.36 करोड़ की धोखाधड़ी के मामले में दो अलग-अलग धाराओं की वजह से सात-सात जेल की सजा सुनाई.
लालू यादव इनमें से कई मामलों में जेल में अपनी सजा काट चुके हैं और कुछ मामलों में वो जमानत पर हैं.
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