पटना के दिल गांधी मैदान में जब जिंदगी चीख रही थी, मातम मना रही थी, गुहार लगा रही थी, तब कहां थे सूबे के मुख्यमंत्री और उनके सिपहसालार? हादसे के बाद से ही ये सवाल लगातार उठ रहे हैं.
जब लोगों को सरकार और सहायता की सबसे ज्यादा जरूरत थी, तब सूबे के मुख्यमंत्री तो छोड़िए, उनका कोई सिपहसालार भी वहां मौजूद नहीं था. घटना कोई दूर-दराज की नहीं, बल्कि सूबे की राजधानी पटना की ही थी. फिर भी न तो समय पर एंबुलेंस, ना कोई सहायता और ना ही सरकार की ओर से कोई संजीदगी दिखी.
आखिरकार देर रात मुख्यमंत्री आए. हादसे का जायजा लेने की रस्म निभाई, हॉस्पीटल के भीतर गए, अधिकारियों से बात की और मीडिया के सामने रटा-रटाया बयान देकर चले गए.
हादसे के बाद कहां था प्रशासन?
जब गांधी मैदान में रावण जल रहा था] तो बिहार के मुख्यमंत्री सीना ताने खड़े थे. शाम 6 बजकर 10 मिनट पर रावण को
निपटाने के बाद मुख्यमंत्री अपने गांव महकार के लिए रवाना हो गए जो पटना से महज 125 किलोमीटर की दूरी पर है.
मुख्यमंत्री की रवानगी के 35 मिनट बाद जहां रावण जला. ठीक उसी मैदान के पास 32 जिंदगियां लापरवाही की भेंट चढ़ गईं.
मुख्यमंत्री तो वक्त पर पहुंचे नहीं और उनके मंत्री जो सामने आए उनका सारा ध्यान जीतन मांझी का बचाव करने में गुजर
गया.
सरकार की लापरवाही का आलम यह था कि बिहार सरकार के किसी मंत्री ने घटनास्थल पर जाने की जहमत नहीं उठाई. हादसे के फौरन बाद जब आज तक ने मांझी सरकार के मंत्रियों को फोन लगाया तो सूबे के शहरी विकास मंत्री सम्राट चौधरी और ग्रामीण विकास मंत्री नीतीश मिश्रा ने फोन तक नहीं उठाया. खाद्य और आपूर्ति मंत्री का फोन तो उठा लेकिन उनकी पत्नी ने कहा कि मंत्री जी दवा खाकर सो गए हैं.
हैरान कर देने वाली खबर तो ये है कि हादसे की जगह से सटे मौर्या होटल में एक बड़े अधिकारी के बेटे के जन्मदिन की पार्टी चल रही थी. इस पार्टी में बिहार के कई आला अधिकारी और नेता शामिल थे. खबरों के मुताबिक हादसे के 2 घंटे बाद तक पार्टी चलती रही. 32 मौतों से बेपरवाह अधिकारी और नेता का पार्टी का लुत्फ उठाते रहे.
जब सरकार अपंग हो, प्रशासन का नामोनिशान न हो तो समझा जा सकता है कि इतना बड़ा आयोजन कैसे हो रहा होगा. गांधी मैदान में सालों से रावण का दहन होता रहा है. लाखों की भीड़ जमा होती रही है. बताया जा रहा है कि इस बार करीब 5 लाख लोगों की भीड़ थी लेकिन पूरा आयोजन भगवान भरोसे रहा.
हादसे की खानापूर्ति जरूर की गई. केंद्र की मोदी सरकार ने मरने वालों के परिजनों के लिए 2-2 लाख के मुआवजे का ऐलान कर दिया तो राज्य सरकार ने 1 लाख और बढ़ाकर बतौर मुआवजा 3-3 लाख देने का फैसला किया.